लखनऊ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक साल के कार्यकाल में काफी संभल कर बोलते देखे गए हैं। प्रदेश में दलित सरकार से नाराज हैं। कई सवालों को लेकर दलितों में गुस्सा है, लेकिन योगी का कहना है कि प्रदेश के दलितों में किसी तरह का गुस्सा नहीं है और यह कुछ लोगों की साजिश है। उन्होंने कहा, राज्य में कभी भी सवर्णों और अनुसूचित जातियों का टकराव नहीं देखा गया। राज्य में 75 जिले हैं, पर भारत बंद के दौरान सिर्फ तीन-चार जिलों में ही बवाल हुआ। इन घटनाओं के पीछे जातिगत टकराव नहीं है। जो लोग दलितों के नाम पर हिंसा की साजिश रच रहे हैं, उनका नाम उजागर हो गया है। हमने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। यह दलित गुस्से का मामला ही नहीं है। यह उन लोगों का प्रायोजित ड्रामा है, जो दलित मसले का राजनीतिकरण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, दलितों के लिए जितना बीजेपी ने किया, उतना किसी और ने नहीं किया है। एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर योगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कोई नया नहीं है। 11 साल पहले मायावती सरकार ने भी ऐसा ही आदेश पारित किया था। बाबा साहेब के नाम में ‘रामजी’ जोड़ जाने के सवाल पर योगी ने कहा कि इस बारे में दो प्रस्ताव सरकार को मिले थे। पहला प्रस्ताव राज्यपाल के पास से आया था कि उनका नाम ‘आंबेडकर’ है, न कि ‘अंबेडकर’ और बाबा साहेब ने संविधान की मूल प्रति पर अपने दस्तखत ‘भीमराव रामजी आंबेडकर’ के रूप में किए हैं, इसलिए उनका नाम यही होना चाहिए। दूसरा प्रस्ताव अम्बेडकर महासभा की तरफ से आया, जिसमें यह अनुरोध किया गया था कि राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में बाबा साहेब की तस्वीर होनी चाहिए। हमने दोनों प्रस्तावों को तत्काल लागू कर दिया।