नईदिल्ली, राष्ट्रमण्डल खेलों में अमीश भानवाला भारत की ओर से सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गये हैं। फाइनल में 15 साल के अमीश ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 30 अंक हासिल किए जो कि राष्ट्रमण्डल खेलों में एक रिकॉर्ड है। अमीश ने 2014 में ग्लास्गो में हुए 20वें राष्ट्रमण्डल खेलों में आस्ट्रेलिया के डेविड चापमान की ओर से बनाए रिकॉर्ड को तोड़ है। 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में अमीश का सामना ऑस्ट्रेलिया के सर्जई इवग्लेवस्की से था। अमीश ने सर्जई से दो अंक ज्यादा हासिल कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। वहीं सर्जई को 28 अंकों के साथ सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा जबकि इंग्लैंड के सैम गोविन ने 17 अंकों के साथ इस प्रतियोगिता का कांस्य पदक जीता।
उधार की बंदूक से किया था अभ्यास
हरियाणा के सोनीपत में गोहना तहसील के एक छोटे से गांव कासंदी में जन्में अमीश को बचपन से ही खेल में रुचि थी। अनीश ने बहुत कम उम्र में ही निशानेबाजी करना शुरु कर दिया था। उनके पिता के पास नई बंदूक खरीदने के पैसे नहीं थे। ऐसे में अमीश के पिता ने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उधार में बंदूक ले ली। अमीश उसी बंदूक से अभ्यास किया करते थे। 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले अनीश की उम्र अभी सिर्फ 15 साल है। जब वह 12 साल के थे, तब अंडर-12 विश्व चैंपियनशिप में अनीश ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
परिवार ने किया पूरा सहयोग
जिस परिवार में खेल का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं, ऐसे परिवार से आकर कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतना आसान नहीं होता हालांकि अमीश के घरवालों ने अपने बेटे का पूरा सहयोग किया। सोनीपत में शूटिंग की बेहतर सुविधाएं न मिल पाने के कारण अमीश और उनका परिवार 2014 में दिल्ली शिफ्ट हो गया। यह पिछले चार सालों की कड़ी मेहनत का परिणाम है कि 15 साल के अमीश ने स्वर्ण जीता है।
राष्ट्रमण्डल में स्वर्ण जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने अमीश
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