धर्मशाला,शनिवार को वैशाखी धार्मिक विशवास पूरे उत्साह एवं परम्पराओं के साथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में धूमधाम से मनाई गई। हजारों की तादाद में लोगों ने आज कांगड़ा जिला के देहरा तहसील के कालेशवर में जाकर ब्यास नदी के तट पर दोनों ओर पवित्र स्नान किया। आज यहां लोग बड़े सवेरे से ही आना शुरू हो गये थे।
ब्यास नदी के उस पार भी हजारों की तादाद में लोगों ने इस पावन मौके पर पवित्र स्नान किया। यह लोग पंजतिर्थी घाट में भी गये। इस मौके पर इलाके के लोगों ने ऐतिहासिक कालेशवर महादेव मन्दिर में जाकर पूजा अर्चना की। वैशाखी के अवसर पर यहां दुकानें सजी थीं, जिनमें लोगों ने खरीददारी की। वैशाखी पर कालेशवर में प्रदेश का सबसे बड़ा ग्रामीण मेला लगता है।, जो दो दिनों तक चलता है, यहां लोग पशु भी खरीदते हैं।
वैशाखी के अवसर पर लोग कालेशवर महादेव मंदिर में भी पूजा अर्चना करते हैं। करीब पांच सौ साल पहले बने इस मन्दिर को विशवास किया जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर को बनाया था। मन्दिर में स्थापित शिवलिंग अनोखा ही है। यह जमीनी सतह के नीचे स्थापित है। माना जाता है कि यह हर साल जौ भर नीचे चला जाता है। इसी वजह से यह श्रद्घालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब इस नगर को पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान बसा रहे थे। तो उन्हें यह सुनिशिचत करना था कि दिन के उजाले में उन्हें कोई देख न ले। लेकिन एक रात अचानक पास ही में रहने वाली महिला रात में ही भूल वश जाग गई चूंकि रात चांदनी थी। वह अपनी चक्की में आटा पीसने लगी। लेकिन उसकी आवाज सुन पांडवों को लगा कि भोर हो चुकी है। पकड़े जाने के भय से पांडवों ने उसी समय स्थान छोड़ दिया,लेकिन काम अधूरा ही रहा। बाद में मन्दिर का काम कटोच राजा ने पूरा कराया।