रायपुर, छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों के मामले में लगाई गई याचिकाओं को बिलासपुर हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है कि अंतरिम आदेश स्थाई रूप से जारी रहेगा। अंतरिम आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था कि संसदीय सचिवों को मंत्रियों वाले कोई अधिकार अथवा सुविधा नहीं मिलेगी। न्यायालय ने फैसले में कहा है कि संसदीय सचिव का पद, जो कि मंत्री के समतुल्य है, उसे राज्यपाल ने शपथ नहीं दिलाई ना ही उनका निर्देशन है, इसलिए इन्हें मंत्रियों के कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में आये न्यायालयीन निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि पहले ही स्पष्ट किया जा चुका था कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में कोई गलत काम नहीं हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने संसदीय सचिवों के मामले में हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका खारिज होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारी उम्मीदां के अनुरूप ही निर्णय आया है, हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। डॉ. सिंह ने इस मामले में सरकार को घेरने वाली कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ये तो होना ही था, उनका काम है इधर-उधर घूमना। हमें पता था कि फैसला न्याय के पक्ष में ही आयेगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में संसदीय सचिवों के मामले में फैसला आने के बाद छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में देश भर की निगाहें टिकी हुई थीं। विदित है कि अभी राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेसियों ने यह मांग उठाई थी कि संसदीय सचिवों को मतदान से वंचित किया जाये। अब संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ दायर की गई याचिकायें खारिज होने से सरकार ने राहत की सांस ली है और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने भी फैसले का स्वागत करते हुए इसे सत्य और न्याय की जीत बताया है।