जम्मू ,कठुआ गैंगरेप की शिकार हुई बच्ची के परिजन गुरुवार देर शाम रसाना गांव छोड़कर चले गए हैं। कुछ लोगों ने दावा किया कि पीड़ित परिवार ने यह स्थान स्थाई रूप से नहीं छोड़ा है। उन्होंने बताया कि गुज्जर बक्करवाल समुदाय के लोग हर साल मार्च-अप्रैल के महीनों में चारे की कमी होने पर अपने मवेशियों को लेकर पहाड़ों की ओर चले जाते हैं। यह परिवार सर्दियों में फिर अपने गांव लौट आएगा। सर्दी के मौसम में वे पहाड़ों पर बर्फ गिरने से मैदानों में आ जाते हैं। ऐसा सिर्फ पीड़ित परिवार ही नहीं बल्कि अन्य गांव में बसे परिवार भी करते हैं। स्थानीय निवासी भागमल खजूरिया ने कहा कि पीड़ित परिवार का हर साल की तरह इस बार भी पहाड़ों की ओर चले जाना एक सामान्य व्यवहार है। इसे किसी और नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। कठुआ हत्याकांड की पैरवी के लिए राज्य सरकार ने सिख समुदाय के दो स्पेशल पब्लिक प्रासिक्यूटर नियुक्त किए हैं।
सरकार ने इस नियुक्ति से संकेत दिए हैं कि वह इस मामले को लेकर गंभीर है। सरकार की ओर से क्राइम ब्रांच जम्मू के चीफ प्रासिक्यूटर भूपेंद्र सिंह व सांबा के हरिंद्र सिंह को मामले की पैरवी का जिम्मा सौंपा गया है। डीजीपी ने भी एसएसपी स्तर के दो अधिकारियों को मामले की जांच में लगाया है। वहीं, प्रासिक्यूटिंग आफिसर्स की नियुक्ति पर डीजीपी का कहना है कि इस मामले को धर्म से न जोड़ा जाए। सरकार की ओर से प्रासिक्यूटर नियुक्त करने थे, जिन्हें कर दिया गया है। पुलिस विभाग में धर्म नहीं देखा जाता।
जम्मू के रसाना में बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म और हत्या का आरोपित उप्र के मुजफ्फरनगर स्थित मीरापुर कस्बे में किराए का कमरा लेकर रह रहा था। जम्मू क्राइम ब्रांच ने छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया तो मामले का पर्दाफाश हुआ। दबोचा गया आरोपित कस्बे में एक कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था। बीती 10 जनवरी को जम्मू के कठुआ जिले के हीरानगर थानांतर्गत रसाना गांव निवासी आठ वर्षीय बच्ची का अपहरण हो गया था। घटना के दो दिन बाद पुलिस को किशोरी का शव गांव के जंगल में ही पड़ा मिला था। जम्मू क्राइम ब्रांच की जांच के बाद शक के आधार पर गांव निवासी एक किशोर को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो इस घटना पर से पर्दा उठा। किशोर ने बताया कि उसने अपने चचेरे भाई विशाल के साथ मिलकर बच्ची के साथ पहले दुष्कर्म किया और बाद में पत्थर मार कर उसकी हत्या कर दी।