MP के सरकारी अस्पतालों में एसिडिटी की दवा मिली अमानक

भोपाल,प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली एसिडिटी की दवा अमानक पाई गई है। जांच में टैबलेट में दवा की मात्रा तय सीमा से कम मिली है। इसके बाद मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने सभी सीएमएचओ व सिविल सर्जन को पत्र लिखकर संबंधित बैच की दवा बांटने पर रोक लगा दी है। इसकी जगह दूसरी बैच की रैनिटिडीन व एसिडिटी की अन्य दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं। खास बात यह है कि दो जगह के सीएमएचओ द्वारा कराई जांच में यह दवा अमानक मिली है। सीएमएचओ होशंगाबाद व भिंड ने स्थानीय स्तर पर यह दवा खरीदी थी। दोनों जगह आयुष इंटरप्राइजेस व टेक्नोकेम एसोसिएट्स की ओर से सप्लाई की गई थी। यह दवा मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन द्वारा अनुबंधित लैब देवांश टेस्टिंग एंड रिसर्च लैब में जांच के लिए भेजी गई थी। 150 एमजी की टैबलेट में दवा की मात्रा 135 से 165 एमजी के बीच होनी चाहिए, पर 111 एमजी ही मिली है। दवा का बैच नंबर आरएसएच 1709 व एक्सपायरी नवंबर 2019 है। प्रदेश के दूसरे सरकारी अस्पताल भी इसी कंपनी से दवा खरीदते हैं, लिहाजा सभी जगह यह बैच प्रतिबंधित कर दिया गया है।
पेट में संक्रमण व दस्त रोकने की दवा सिप्रोफ्लाक्सासिन टिंडाजोल भी अमानक स्तर की मिली है। सीएमएचओ छिंदवाड़ा ने इस दवा की जांच कराई थी। इसका बैच नंबर सीईटी 1711 और एक्सपायरी जून 2019 है। दवा माडर्न लैबोरेट्रीज से खरीदी गई थी। यह दवा भी औसतन पांच में एक मरीज को लिखी जाती है। इसकी सप्लाई चार-पांच महीने पहले ही अस्पतालों में की गई थी।मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने बायोकेम हेल्थ केयर लिमिटेड उज्जैन से सिप्रोफ्लाक्सासिन 250 टैबलेट की सप्लाई के लिए अनुबंध किया था। जुलाई 2016 में सीएमएचओ उज्जैन ने बैच नंबर बी 60421 के नमूने जांच के लिए सेंट्रल ड्रग लेबोरेट्री मुंबई भेजे थे। जांच में इस दवा की मात्रा (एसे) 84.5 फीसदी मिली थी। कॉरपोरेशन द्वारा अयोग्य किए जाने पर कंपनी ने कमिश्नर हेल्थ के यहां अपील की थी। साथ ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट उज्जैन में याचिका दायर की थी। कोर्ट के निर्देश पर उसी बैच की दवा की जांच सेंट्रल ड्रग टेस्टिंग लेबोरेट्री कोलकाता में कराई गई थी। यहां की जांच में यह दवा स्टैंडर्ड मिली है। इस संबंध में मुख्य महाप्रबंधक डॉ विपिन श्रीवास्तव का कहना है कि दवाएं अमानक मिलने पर बांटने पर रोक लगा दी जाती है। साथ ही कंपनियों पर कार्रवाई की जाती है। उनकी सुरक्षा राशि में कटौती की जाती है साथ ही सप्लाई के लिए अयोग्य भी किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *