कर्नाटक में बीजेपी की पहली लिस्‍ट से विवाद,कुछ नेता लड़ सकते हैं निर्दलीय चुनाव

बेंगलुरु,कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतकर दक्षिण भारत में कमल खिलाने के लिए प्रयासरत बीजेपी ने पिछले दिनों अपने उम्‍मीदवारों की पहली लिस्‍ट जारी कर दी। पार्टी को उम्‍मीद थी कि इससे उसे 12 मई को होने वाले चुनाव प्रचार में बढ़त मिलेगी। लेकिन यह लिस्‍ट उसके लिए सिरदर्द साबित हो रही है। प्रत्‍याशियों के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही आवाजें उठने लगी हैं। पार्टी के बेंगलुरु शहर के प्रवक्‍ता एनआर रमेश ने भी आवाज उठाई है। वह चिकपेट से चुनाव लड़ना चाहते थे, जबकि पार्टी ने यहां से उदय गरुदचार को टिकट दिया है। उदय वर्ष 2013 में यहां से कांग्रेस उम्‍मीदवार के हाथों चुनाव हार गए थे। नाराज रमेश ने पार्टी के पद से इस्‍तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, मैं इस बात से निराश हूं कि पार्टी के प्रति निष्‍ठा और कठिन परिश्रम को अनदेखा किया गया। मैं अगले दो दिन में अपने भविष्‍य की रणनीति पर फैसला करुंगा। उधर, रमेश के समर्थक उनसे निर्दलीय चुनाव लड़ने की अपील कर रहे हैं। रमेश के समर्थकों ने पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं आर. अशोक और अनंत कुमार पर टिकट नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने अशोक के आवास के बाहर प्रदर्शन किया और दुकानों को बंद करा दिया। विरोध की यह आवाजें अन्‍य जगहों से भी उठ रही हैं। हाल ही में जेडीएस छोड़ने वाले मल्लिकार्जुन खूबा को बीजेपी ने बीदर के बासवकल्‍याण से टिकट दिया है। इससे स्‍थानीय बीजेपी नेता बासवराज पाटिल अट्टूर नाराज हो गए हैं। पाटिल यहां से अपने बेटे लिंगराज के लिए टिकट चाहते थे। इसी को लेकर पाटिल और खूबा के समर्थकों के बीच झड़प तक हो गई थी। पाटिल के एक समर्थक ने तो आत्‍मदाह की भी कोशिश की थी। उधर, काफी अटकलों के बाद बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता केएस ईश्‍वरप्‍पा को शिवमोगा शहर से टिकट मिला है। इससे एस. रुद्रे गौड़ा नाराज हो गए हैं, जो पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे और ईश्‍वरप्‍पा तीसरे स्‍थान पर थे। येदियुरप्‍पा के आने के बाद गौड़ा को उम्‍मीद थी कि उन्‍हें टिकट मिलेगा। कांग्रेस के लिंगायत कार्ड के बाद दबाव में चल रही बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।

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