नई दिल्ली, इराक के मोसुल में मारे गए सभी 39 भारतीयों के शव सोमवार को भारत पहुंचे। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह सभी शव लेकर इराक से अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे। उन्होंने कहा, विदेश मंत्रालय 2014 से यह अभियान चला रहा है कि बिना ट्रेनिंग और सुरक्षा के विदेश न जाएं। सिंह ने कहा कि हमें यह कहना नहीं चाहिए, लेकिन उन 40 लोगों का किसी भी दूतावास में कोई रिकॉर्ड नहीं था। वे गैर कानूनी एजेंट के माध्यम से वहां गए थे। सिंह ने जब सवाल किया गया कि क्या सरकार मारे गए भारतीयों के परिजन को नौकरी देगी तो वह अपना आपा खो बैठै। उन्होंने कहा, यह फुटबॉल का खेल नहीं है। केंद्र और राज्य की सरकारें संवेदनशील हैं। विदेश मंत्रालय ने परिवारों से डिटेल मांगी है कि किसी नौकरी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मुआवजा देना बिस्किट बांटने जैसा नहीं है। उन्होंने कहा, ये आदमियों की जिंदगी का सवाल है, आ गई बात समझ में? मैं अभी ऐलान कहां से करूं? जेब में कोई पिटारा थोड़ी रखा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जो परिवार आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने उन्हें अंधेरे में रखा उन्हें राजनीति में नहीं घुसना चाहिए और शांति से अंतिम संस्कार करना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बताया था कि जून 2014 में मोसुल में कब्जे के बाद आईएस ने 40 भारतीयों को बंदक बनाया था। उनमें से एक ने खुद को बांग्लादेश का मुस्लिम बताया और वह बच गया। अन्य 39 को बदूश ले जाकर मार दिया गया। मारे गए भारतीयों में से 27 पंजाब के रहने वाले थे वहीं चार हिमाचल प्रदेश के थे। उनके शवों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी।