झाबुआ,एमपी कड़कनाथ, यह उस ऐप का नाम है, जिसे दो दिन पहले कड़कनाथ मुर्गे की होम डिलीवरी लेने के लिए जारी किया गया है। मोबाइल के प्ले स्टोर पर यह ऐप उपलब्ध है। ऐप लांच होने के दो दिन में झाबुआ (मध्य प्रदेश) में थांदला के पास रूंडीपाड़ा के विनोद मेड़ा के पास छह ऑर्डर आ गए। ये सभी ऑर्डर चूजों के लिए हैं। विनोद के सामने मुश्किल यह है कि वह चूजे अपने ग्राहकों तक पहुंचाएं कैसे।
विनोद ने कहा इंदौर, बुरहानपुर जैसे निकटवर्ती इलाकों तक तो बस से चूजे भेजे जा सकते हैं, लेकिन दिल्ली, मुंबई जैसे दूरदराज के स्थानों तक इतनी कम संख्या में सप्लाई देना आसान काम नहीं है। इस पर बहुत ज्यादा खर्च आ जाता है। विनोद ने बताया कि दिल्ली, इंदौर और बालाघाट से गुवार को ऑर्डर मिले थे। इसके बाद अब बुरहानपुर से 100 चूजों का ऑर्डर मिला है, जिसने ऑर्डर दिया उनका फॉर्म है। वह बायलर का उत्पादन बंद कर कड़कनाथ का उत्पादन करना चाहते हैं। महाराष्ट्र के भुसावल से 50 चूजों का ऑर्डर है। झारखंड से भी इसी तरह का ऑर्डर आया, लेकिन हमारे सामने इन आर्डरों पर सप्लाई की मुश्किल है। इसे लेकर सरकारी तौर पर भी कुछ बताया नहीं गया है। एक चूजे की कीमत 60 रुपये है तो कड़कनाथ मुर्गा 800 से हजार रुपये में बिकता है। जानकारों का मानना है कि कड़कनाथ को किसी भी जगह जीवित भेजना ही सही विकल्प है। मांस के मामले में इसे एक या दो घंटे में उपयोग कर लेना बेहतर है। पकने के बाद भी एक समय ही सेवन उचित होगा। इसलिए मुर्गे को जीवित भेजने के उपायों पर विचार करना होगा।