गडबडी रोकने मरीज अब अस्पताल में लगाएंगे अंगूठा,जांचों को आधार नंबर से जोडने की तैयारी

भोपाल,गडबडी रोकने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जांच कराने वाले मरीजों को अब अंगूठा लगाना होगा। अस्पताल में होने वाली जांच को अब आधार नंबर से जोडने की तैयारी चल रही है, ताकि मरीजों के नाम पर होने वाले फर्जीवाडे को पकडा जा सके। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को यह आशंका थी कि अस्पताल में ज्यादा मरीजों की जांच दिखाई जाती है। इसी आधार पर किट-केमिकल्स का उपयोग ज्यादा बताया जाता है। लिहाजा जांचों को आधार नंबर से जोड़ने की तैयारी चल रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि अस्पतालों में जांचों की गुणवत्ता सुधारने के लिए इस साल कई प्रयास किए जाने हैं। अस्पतालों में सेवाओं की क्वालिटी सुधारने के लिए इस साल 112 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान जांच क्वालिटी पर है। इसमें सबसे पहला कदम यह देखना होगा मरीजों की जांच बेवजह तो नहीं की जा रही हैं। दूसरा यह पता करना भी जरूरी है मरीजों की जांच सही में की जा रही हैं। कुछ झूठे मरीज तो नहीं दिखाए जा रहे हैं। यह जानने का सबसे आसान तरीका जांचों को आधार कार्ड से जोड़ना है। जांच के पहले मरीज का आधार सत्यापन किया जाएगा। इस दौरान उसकी रेटिना स्कैन भी की जाएगी। इस तरह कोई भी अधिकारी यह जान सकेगा कि अमुक मरीज की कौन सी जांच कितनी बार हुई है।  इसके अलावा सभी जिला अस्पतालों में जांच की अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। इन्हें 5 पार्ट एनालाइजर कहा जाता है। ज्यादातर जिला अस्पतालों में अभी 3 पार्ट एनालाइजर हैं। इन्हें सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजा जाएगा। इससे वहां भी जांचों की गुणवत्ता बेहतर हो सकेगी। अत्याधुनिक जांच मशीनें (एनालाइजर) लगाई जाएंगी। इन मशीनों में हाथ की जगह पूरा काम मशीन से ही होगा। मशीन लगाने वाली कंपनी ही जांच किट व केमिकल्स की सप्लाई करेगी। मशीन की मरम्मत भी वही कंपनी करेगी। इसका फायदा यह होगा कि मशीनों की मरम्मत में देरी नहीं होगी। अभी मशीनें किसी और कंपनी की और किट किसी और कंपनी की लग रही हैं। सभी तरह की जांचें एक तरह होंगी। इसके लिए सेंट्रल पैथोलॉजी लैब बनाई जाएगी। इसका फायदा यह होगा कि मरीजों को जांच के लिए जगह-जगह नहीं भटकना होगा। अभी पैथोलॉजिकल जांचें अलग जगह, माइक्रोबायोलॉजी की अलग और बायोकेमेस्ट्री की अलग होती हैं। जांच की गुणवत्ता देखने के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों से कुछ सैंपल सीएमसी वेल्लोर व एम्स दिल्ली भेजे जाते है।

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