लखनऊ, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के गठबंधन पर बिना नाम लिया चुटकी लेते हुए कहा है कि कुछ लोग ‘सर्कस के शेर’ बन चुके हैं और वे खुद पर भरोसा करने के बजाय दूसरे की ‘जूठन‘ पर निर्भर हो गये हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाजवाद ‘मृगतृष्णा’ से ज्यादा कुछ नहीं है। देश समाजवाद नहीं, बल्कि रामराज्य चाहता है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधान परिषद में वर्ष 2018-19 के बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि सर्कस का जो शेर होता है वह शिकार करने में असमर्थ होता है, इसलिये दूसरों की जूठन पर ही अपनी पीठ थपथपाता और गौरवान्वित होने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि वह इसलिये गौरवान्वित होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे कोई शिकार मिल गया है। तो सर्कस का शेर बनने के बजाय खुद पर और अपने स्वाभिमान पर विश्वास करें तो बहुत अच्छी बात होगी। मुख्यमंत्री ने समाजवाद की अवधारणा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि समाजवाद ‘मृगतृष्णा’ से ज्यादा कुछ नहीं है। देश समाजवाद नहीं, बल्कि रामराज्य चाहता है। मुख्यमंत्री योगी द्वारा समाजवाद को लेकर भी की गयी टिप्पणी पर सपा सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए पीठ से इसे सदन की कार्यवाही से निकालने का अनुरोध किया। सपा सदस्यों का कहना था कि समाजवाद तो संविधान के प्राक्कथन का हिस्सा है। मुख्यमंत्री योगी सरकार के सबसे बड़े पद पर हैं और संविधान की ही शपथ लेकर यहां पहुंचे हैं। उन्हें समाजवाद के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिये।
लेकिन सपा की आपत्ति को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ने अपना सम्बोधन जारी रखा। उन्होंने समाजवाद के बारे में कहा कि उन्हें इस ‘बहुरूपिये ब्रांड‘ के बारे में अच्छी जानकारी है। यह ब्रांड कभी जर्मनी में नाजीवाद के रूप में और इटली में फासीवाद के रूप में देखने को मिला है। क्या उत्तर प्रदेश में इसका वीभत्स रूप गुंडाराज के तौर पर देखने को नहीं मिला है? मुख्यमंत्री ने बजट को लेकर विपक्षी दलों की टिप्पणियों को सच से मुंह मोड़ने की कोशिश करार दिया और कहा कि इस बजट को जन विरोधी और विकास विरोधी कहने वालों की बातें समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने चार लाख 28 हजार करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया है। पिछले साल जुलाई में पेश बजट में कृषि विभाग को आबंटित धन का 98 प्रतिशत खर्च हो चुका है। इसके अलावा ऊर्जा विभाग का 95 फीसद, गृह विभाग का 100 प्रतिशत, पंचायती राज का 78 फीसद, लोक निर्माण विभाग का 65 प्रतिशत, चिकित्सा शिक्षा विभाग का 87 फीसद धन खर्च किया जा चुका है।