नईदिल्ली, आजकल कई बार ऐसी खबरें आ रही है जिनमें बच्चे हिंसक गतिविधियों में शामिल पाये गये हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं पर एक जो कारण सबसे ज्यादा सामने आया है वह है इंटरनेट टीवी और वीडियो गेम्स के जरिये परोसी जा रही हिंसा। इससे वह मानसिक और शरीरिक रुप से बीमार बनते जा रहे हैं। आमतौर पर बच्चे वीडियो गेम के दीवाने होते हैं। कम्प्यूटर हो या स्मार्टफोन बच्चों को बस वीडियो गेम चाहिए।
वीडियो गेम्स कई प्रकार के होते हैं पर एक्शन जॉनर के गेम बच्चों को बहुत पसंद आते हैं। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि हिंसक वीडियो गेम्स का बच्चों के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वीडियो गेम ज्यादा खेलने से बच्चों के दिलो दिमाग पर बहुत खराब असर पड़ता है, जिससे उनकी पूरी सोच प्रभावित होती है और वह अनजाने में ही हिंसा और अपराध की ओर बढ़ने लगते हैं।
यही नहीं इससे शरीर पर भी बुरा असर पड़ता है। वीडियो गेम खेलने के लिए बच्चे घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। इससे ड्राई आई के साथ ही उनके जोड़ भी प्रभावित होते हैं क्योंकि गेम खेलते समय बच्चों के बैठने का तरीका सही नहीं होता, इससे उन्हें गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है। घंटो गेम खेलते रहने के दौरान बच्चे कुछ ना कुछ खाते रहते हैं। इससे बच्चों में मोटापा बढ़ता है और शारीरिक सक्रियता कम होने के कारण उनके शारीरिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
छोटे बच्चों का मन एक कागज की तरह होता है, वह जो भी देखते हैं, वैसा ही करने लगते हैं। ज्यादातर गेम्स हिंसा से भरपूर हैं। इन सभी गेम्स से बच्चों में हिंसा की प्रवृति बढ़ती है। इसलिए बच्चों को वीडियो गेम्स खेलने न दें।
इंटरनेट और वीडियो गेम्स से ऐसे रखें दूर
आपका बच्चा इंटरनेट पर क्या देख रहा है। इसकी पूरी जानकारी रखना आपकी जिम्मेदारी है। साथ ही यह ध्यान रखें कि आपका बच्चा किस तरह के वीडियो गेम्स खेलता है, टीवी पर किस तरह की फिल्में या प्रोग्राम देखता है।
अपने बच्चे से इस बात पर जरूर चर्चा करें कि वीडियो गेम्स, फिल्म और टीवी प्रोग्राम में उन्हें क्या पसंद आया और क्या नहीं, और उससे उन्होंने क्या सीखा।
अपने बच्चों को ऐसे काम करने पर जोर दें, जो उनके लिए फायदेमंद हों। उन्हें पेड़ पौधे लगाना सिखाएं उनके लाभों के बारे में बताएं।
जितना हो सके अपने बच्चों को आउटडोर गेम्स में व्यस्त रखें। उनको खेलों से जुड़ी सभी जानकारी दें और खेल-कूद में उनकी ज्यादा से ज्यादा रुचि पैदा करें।
बच्चों को ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करने ना दें। उनके इंटरनेट इस्तेमाल करने का एक समय निश्चित करें।
अपने बच्चों के बेड रुम में कभी भी टीवी, लैपटॉप, या मोबाइल फोन ना रखें।