नई दिल्ली,बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को दुमका कोषागार से 13.31 करोड़ रूपये के अवैध निकासी मामले में सज़ा सुनाते हुए सात साल की कैद दी है। इसके साथ ही, अदालत ने लालू यादव पर 30 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है। चारा घोटाला का यह ऐसा चौथा मामला है जिसमें लालू यादव को सज़ा दी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को अब तक की सबसे ज्यादा सज़ा दी गई। इस फैसले के बाद लालू यादव को अब तक 20 साल 6 महीने की सज़ा सुना दी गई है। जुर्माना नहीं भरने की सूरत में सजा की अवधि एक साल और बढ़ जाएगी। लालू यादव की सजा पर बहस 21, 22 और 23 मार्च को हुई थी। चारा घोटाले के चौथे मामले में यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार (19 मार्च) को लालू प्रसाद को दोषी करार दिया था। लालू की तरफ से बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जैसे ही फैसले की कॉपी मिलती है वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
आपको बता दें कि सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार गबन के मामले में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया था। सीबीआई के अधिवक्ता ने बताया कि लालू को अदालत ने इस मामले में भी आपराधिक षड्यंत्र एवं भ्रष्टाचार का दोषी पाया है। अदालत ने लालू को आपराधिक षड्यन्त्र, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 420, 467, 468, 471, 477ए के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी पाया। लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे।
जिन 19 अभियुक्त दोषी करार दिया गया हैं उनमें लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री फूलचंद सिंह, तत्कालीन सचिव, नंद किशोर प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, ओपी दिवाकर, तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक, पंकज मोहन भुई, तत्कालीन एकाउंटेंट, पितांबर झा, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, केके प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, रघुनाथ प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, राधा मोहन मंडल, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, एसके दास, तत्कालीन असिस्टेंट, अरुण कुमार सिंह, पार्टनर विश्वकर्मा एजेंसी, अजित कुमार शर्मा, प्रोपराइटर लिटिल ओक, विमल कांत दास, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, गोपी नाथ दास, प्रोपराइटर, राधा फार्मेसी, एमएस बेदी, प्रोपराइटर सेमेक्स क्रायोजेनिक्स, नरेश प्रसाद, प्रोपराइटर वायपर कुटीर, राजकुमार शर्मा, ट्रांसपोर्टर, आरके बगेरिया, ट्रांसपोर्टर, मनोजरंजन प्रसाद।
जिन 12 आरोपियों को बरी किया गया है उनमें डॉ. जगन्नाथ मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री, बेक जूलियस, तत्कालीन सचिव, बेनू झा, प्रोपराइटर लक्ष्मी इंटरप्राइजेट, लाल मोहन प्रसाद, प्रोपराइटर आरके एजेंसी, एमसी सुवर्णों, तत्कालीन डिविजनल कमिश्नर, महेश प्रसाद, तत्कालीन सचिव, ध्रुव भगत, तत्कालीन अध्यक्ष, लोक लेखा समिति, डॉ. आरके राणा, पूर्व सांसद , जगदीश शर्मा, तत्कालीन अध्यक्ष लोक लेखा समिति, विद्यासागर निषाद, पूर्व मंत्री, अधीप चंद्र चौधरी, कमिश्नर आइटी, सरस्वती चंद्रा, प्रोपराइटर, एसआर इंटरप्राइजेज हैं।