नई दिल्ली,दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को राहत देते हुए उनकी जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया। कार्ति और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति एस पी गर्ग द्वारा १६ मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने कार्ति को राहत दिए जाने का विरोध किया था। एजेंसी ने कहा था कि उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह इस मामले में पहले ही सबूत नष्ट कर चुके हैं और वह एक‘‘ प्रभावशाली’’ व्यक्ति हैं। कार्ति के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि सीबीआई ने न तो किसी लोक सेवक से पूछताछ की और ना ही उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया है। कार्ति के वकीलों ने सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि जब सीबीआई ने हिरासत में लेकर उनसे और पूछताछ की मांग नहीं की है तो उन्हें न्यायिक हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए। कार्ति को पिछले साल 15 मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में ब्रिटेन से लौटने पर सीबीआई द्वारा २८ फरवरी को चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था। उन पर उनके पिता के केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते २००७ में विदेशों से करीब ३०५ करोड़ रुपये का कोष प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं का आरोप है।