नई दिल्ली,निवेशकों की रकम को दूसरे प्रॉजेक्ट्स में लगाने और फ्लैट का समय पर आवंटन न करने के मामले में फंसे जेपी एसोसिएट्स को अब 10 मई तक 200 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसे 15 अप्रैल और 10 मई को 100-100 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह रिफंड पाने के इच्छुक सभी मकान खरीददारों का परियोजना-दर-परियोजना चार्ट जमा करे, ताकि उन्हें आनुपातिक आधार पर धन वापस किया जा सके। उधर, जेपी एसोसिएट्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे 2017-2018 में 13,500 फ्लैट के कब्जा प्रमाणपत्र मिले, वहीं आठ प्रतिशत मकान खरीददारों ने रिफंड का विकल्प चुना। इस पर कोर्ट ने कहा कि रिफंड का विकल्प चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल स्टेट फर्म की ओर से कोई ईएमआई भुगतान डिफॉल्ट का नोटिस न भेजा जाए। इससे पहले नवंबर-2017 में सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने घर खरीदने वालों को जेपी ग्रुप की तरफ से दो हजार करोड़ रुपए का रिफंड न दिए जाने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। तब चीफ जस्टिस ने हल्के लहजे में कहा था, अच्छे बच्चे बनकर पैसे जमा कर दो। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। चूंकि एक दिन पहले 15 अप्रैल तक जेपी एसोसिएट्स को 100 करोड़ रुपए की पहली किस्त जमा कराना है, इसलिए अगली सुनवाई में कोर्ट की नजर इस पर ही रहेगी। इसी के आधार पर उसका अगला फैसला आएगा। तब कोर्ट जेपी से मिले पैसे को बायर्स के बीच आनुपातिक वितरण का फैसला दे सकता है। मामला नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रुप की अलग-अलग परियोजनाओं से जुड़े लगभग 30 हजार बायर्स को समय पर फ्लैट नहीं देने का है। सितंबर 2017 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच की ओर से 10 अगस्त को ही कंपनी को दिवालिया श्रेणी में डालने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के बाद उन ग्राहकों की चिंताएं बढ़ गई थीं, जिन्होंने निर्माणाधीन फ्लैटों में निवेश किया है और अब तक पजेशन का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्रा को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।