गुरुग्राम,मेदांता अस्पताल में गरीब श्रेणी के एक मरीज को इलाज करवाना भारी पड़ गया है। अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों द्वारा इलाज का बिल न भरने पर मरीज को बंधक बना लिया। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने न तो उन्हें समय पर डिस्चार्ज किया और बिल न मिलने पर मरीज को खाना देना भी बंद कर दिया।
जबकि मरीज को सिविल सर्जन द्वारा गरीब श्रेणी में इलाज के लिए हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में रेफर किया था। इस मामले में पीड़ित ने जिला उपायुक्त को शिकायत सौंपकर इंसाफ की गुहार लगाई है। मूलरूप से उत्तराखंड निवासी आनंद पिछले 15 वर्षों से सुशांत लोक में माली का काम करते हैं। जिनके 62 वर्षीया पिता बाली राम कैंसर से पीड़ित हैं। उन्होंने पिता को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में दिखाया था, लेकिन अस्पताल में बना कैंसर वार्ड वर्षों से बंद होने के कारण सिविल सर्जन ने उन्हें गरीब श्रेणी में इलाज के लिए मेदांता अस्पताल रेफर किया था। सिविल सर्जन द्वारा उनसे इलाज में आने वाले खर्च का 30 फीसदी भरने को कहा गया था। आनंद ने बताया कि 05 मार्च को उन्होंने अपने पिता को मेदांता में भर्ती करवाया था। जहां डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि मरीज के इलाज में 5 लाख रुपये तक का खर्च आने की संभावना है और उनसे इस खर्च का 30 फीसदी करीब डेढ़ लाख रुपये भी एडवांस के तौर पर जमा करवा लिया गया। जिसके बाद 6 मार्च को मरीज का ऑपरेशन किया गया। 17 मार्च को अस्पताल से छुट्टी होनी थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें 11 दिन के इलाज के एवज में 6 लाख 17 हजार रुपये का बिल थमा दिया और भुगतान न करने पर अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को छुट्टी देने से मना कर दिया। जबकि परिजनों को बिल का केवल 30 फीसदी ही जमा करवाना था, बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों पर पूरा बिल जमा करवाने का दबाव बनाया। आनंद के मुताबिक वह 17 मार्च को पिता को छुट्टी करवाकर घर ले जाने के लिए अस्पताल में यहां-वहां डॉक्टरों व अधिकारियों के चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। रात करीब 8 बजे अस्पताल की अकाउंट शाखा में कार्यरत एक कर्मचारी ने उन्हें डेढ़ लाख रुपये का और भुगतान कर पिता को ले जाने की बात कही, लेकिन जब उन्होंने अचानक इतने रुपयों का भुगतान न कर पाने को कहा तो उन्हें मरीज को ले जाने से मना कर दिया। वहीं उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने उनके पिता को अगले दिन भी पैसा न मिलने पर भूखा रखा। इस मामले में आनंद ने जिला उपायुक्त को लिखित शिकायत सौंपकर इंसाफ की गुहार लगाई है। मेदांता अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एके दूबे ने कहा कि मरीज का काफी समय से अस्पताल में इलाज चल रहा था। भर्ती करने से पहले भी परिजनों को सभी चीजें समझा दी गई थीं। मरीज को शुक्रवार या शनिवार नहीं सोमवार को ही छुट्टी दी जानी थी। डिस्चार्ज से सभी दस्तावेज तैयार हो चुके हैं। बिल को लेकर भी परिजनों से बात हो गई है। नियमों के अनुसार बिल का कुल 30 फीसदी ही लिया जाएगा। जल्द ही मरीज को छुट्टी दे देंगे। इस मामले की शिकायत मिलते ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तुरंत हरकत में आ गया। प्राधिकरण ने अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अस्पताल के खिलाफ इस तरह की लगातार आ रही शिकायतों पर क्यों न उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए यह पूछा गया है।