नई दिल्ली,सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि संघ का हिंदुत्व, हिंदुत्व के नाते किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता लेकिन उस हिंदुत्व की रक्षा के लिए हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण हमको करना ही पड़ेगा और लड़ना पड़ेगा तो लड़ेंगे भी।
‘पाञ्चजन्य’ को दिए ‘साक्षात्कार’ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख भागवत ने वास्तविक हिंदुत्व’ और आक्रामक हिंदुत्व’ के संबंध में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम हिंदुत्व को एक ही मानते हैं। हिंदुत्व यानी हम उसमें श्रद्धा रखकर चलते हैं। महात्मा गांधी कहते थे सत्य का नाम हिंदुत्व है। वहीं जो हिंदुत्व के बारे में गांधीजी ने कहा है, जो विवेकानंद ने कहा है, जो सुभाष बाबू ने कहा है, जो कविवर रवींद्रनाथ ने कहा है, जो डॉ। अंबेडकर ने कहा है।।।।हिंदू समाज के बारे में नहीं, हिंदुत्व के बारे में।।।। वही हिंदुत्व है। लेकिन उसकी अभिव्यक्ति कब और कैसे होगी यह व्यक्ति और परिस्थिति पर निर्भर करता है।’
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व एक ही है, किसी के देखने के नजरिए से हिंदुत्व का प्रकार अलग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘मैं सत्य को मानता हूं और अहिंसा को भी मानता हूं और मुझे ही खत्म करने के लिए कोई आए और मेरे मरने से वह सत्य भी मरने वाला है और अहिंसा भी मरने वाली है। उसका नाम लेने वाला कोई बचेगा नहीं तो उसको बचाने के लिए मुझे लड़ना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि लड़ना या नहीं लड़ना यह हिंदुत्व नहीं है। सत्य अहिंसा के लिए जीना या मरना, सत्य अहिंसा के लिए लड़ना या सहन करना, यह हिंदुत्व है।
संघ प्रमुख ने कहा कि ये जो बातें चलती हैं कि स्वामी विवेकानंद का हिंदुत्व और संघ वालों का हिंदुत्व, कट्टर हिंदुत्व या सरल हिंदुत्व। ये भ्रम पैदा करने के लिए की जाने वाली तोड़-मरोड़ है क्योंकि हिंदुत्व की ओर आर्कषण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि तत्व का नहीं स्वभाव आदमी का होता है। भागवत ने इसी संदर्भ में कहा, ‘हिंदुत्व में हिंदुत्व का कैसा पालन करना है, यह तो व्यक्तिगत निर्णय है।आप यह कह सकते हैं कि फलां हिंदुत्व को गलत समझ रहे हैं। आप कहेंगे कि मैं सही हूं, वह गलत है।इनका हिंदुत्व, उनका हिंदुत्व। यह सब कहने का कोई मतलब नहीं है। इसका निर्णय समाज करेगा और कर रहा है। समाज को मालूम है कि हिंदुत्व क्या है।’