जल संसाधन में तीन साल में एक हजार करोड का घोटाला,भ्रष्टाचार में विभाग के 69 अधिकारी उलझे

भोपाल,केन्द्र सरकार द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए उपलब्ध कराई गई करोडों की राशि में भ्रष्टाचार थम नहीं रहा है। जिस भी सरकारी महकमे के अधिकारियों को मौका मिला सभी ने जमकर खुद के वारे- न्यारे किए और किसानों की भलाई का जरा भी ख्याल नहीं रखा। भ्रष्टाचार के ऐसे ही मामलों में वन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग निशाने पर है। विभाग के तहत पिछले तीन साल के भीतर करीब एक हजार करोड़ का घोटाला होना प्रकाश में आया है। मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) ने सभी छह जिलों की जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी है। जीएडी ने जल संसाधन विभाग से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है। विभाग ने उप यंत्री से लेकर अधीक्षण यंत्री स्तर के 69 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच करने के लिए आरोप पत्र थमा दिए हैं। सूत्रों की माने तो केन्द्र सरकार, बुंदेलखंड के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह और दतिया जिलों के विकास के लिए हर साल करोड़ों की राशि उपलब्ध कराता है। इस राशि का दुरुपयोग होने और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार होने के आरोप शुरू से लग रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट के निर्देश पर वन और पीएचई के भ्रष्टाचार की जांच की गई है। पिछले साल जल संसाधन विभाग के तहत हुए कार्यों की जांच कराई गई है। रिपोर्ट आने के बाद संबंधित अधिकारियों की विभागीय जांच की कार्रवाई शुरू हो गई है। कांग्रेस के मुकेश नायक ने आरोप लगाया है कि एक हजार करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है।निर्माण कार्य में किस तरह से भ्रष्टाचार किया गया, उसकी बानगी है कि नवनिर्मित तालाबों में कट लगा दिए गए जिससे पानी न भरे और बांध की फूटने की नौबत ना आए। बांध में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखना, नहर निर्माण होने के बाद तालाब नहीं खोदे या तालाब बनाने के बाद नहरें नहीं बनाई। तालाबों में पानी नहीं आने से हजारों किसानों को पानी नहीं मिल पाया। सरकारी धन की बंदरबांट कर अधिकारियों ने सरकार और किसानों की मंसूबा पर पानी फेर दिया है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने का मन बना रही है।

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