28 साल बाद गुरु और शनि,अमावस्या के दिन एक ही राशि में एक साथ

भोपाल,चैत्र नवरात्रि के 1 दिन पूर्व शनिश्चरी अमावस्या का यह संयोग 28 वर्ष बाद देखने को मिल रहा है। 28 साल बाद शनि और देवगुरु बृहस्पति एक ही राशि में विचरण कर रहे हैं। गुरु को सिद्धि देने वाला ग्रह माना गया है। वहीं शनिदेव कर्म का फल देने वाले देवता हैं। गुरु और शनि की आराधना से इस बार अनुकूल सफलता और प्रसन्नता मिलने का संयोग बना है।
ज्योतिषियों के अनुसार शनिवार को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के साथ नाग करण, कुंभ राशि का चंद्रमा और बहुत सारे संयोग एक साथ बन रहे हैं। यह दिन शनि दोष,कालसर्प दोष ,पितृदोष और चांडाल योग से मुक्ति पाने के लिए आराधना का सबसे उत्तम दिन है। विक्रमी संवत साल की यह आखरी अमावस्या है। जो शनिवार के दिन पड़ रही है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2018 की यह पहली शनिश्चरी अमावस्या है।
राशियों पर प्रभाव
ज्योतिषियों के अनुसार यह अमावस्या मेष- मिथुन राशि के जातकों के लिए लाभदायक होगी। वही कर्क, सिंह ,कन्या राशि के लिए शुभ समाचार, यात्रा निर्माण कार्य इत्यादि को लेकर आएगी। तुला राशि वालों को स्वास्थ्य में हानि होगी। वृश्चिक राशि वालों को रुके हुए कार्यों में सफलता मिलेगी। धन लाभ भी मिलेगा। मकर और कुंभ वालों के लिए धन हानि और स्वास्थ्य खराब होने के योग बनेंगे। मीन राशि वालों को भी धन की प्राप्ति के योग होंगे।

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