नई दिल्ली,देश के सामने इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सोमवार को मोदी सरकार गिर जाएगी? यह सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि एनडीए से अलग होते ही टीडीपी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया है। पार्टी के सांसदों ने दावा किया है कि प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 54 वोट उनकी पार्टी ने जुटा लिए हैं। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने से नाराज टीडीपी ने आनन फानन में यह फैसला इसलिए लिय़ा, क्योंकि इससे पहले टीडीपी की घोर विरोधी आंध्र की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का एलान किया था। बीजेपी के लिए बुरी खबर यह है कि शिवसेना ने कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर पार्टी तटस्थ रहेगी। इसका मतलब यह हो सकता है कि वोटिंग के दौरान शिवसेना बीजेपी का साथ न दे। लोकसभा में कुल 543 सीधे जनता द्वारा चुने हुए सांसद होते हैं। इस वक्त पांच सांसदों की सीट खाली है। एक स्पीकर की सीट होती है। इस वक्त सदन में 537 निर्वाचित सांसद हैं। बहुमत के लिए सदन में अभी 269 सदस्य चाहिए। सरकार से अलग हुई टीडीपी के पास 16 सांसद हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली एक और पार्टी वाईएसआर के पास नौ सांसद हैं। 34 सांसदों वाली टीएमसी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। इसका मतलब यह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 54 का समर्थन मिल गया है। बीजेपी के पास इस वक्त 272 निर्विचित सदस्य हैं, जो बहुमत से तीन ज्यादा हैं। उसके लिए दिक्कत पार्टी के अंदर से हो सकती है। पटना साहिब के सांसद शत्रुघन सिन्हा, दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद, बेगूसराय के सांसद भोला सिंह, इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता बीजेपी में रहकर भी बीजेपी के खिलाफ काम कर रहे हैं। इनके अलावा भी आधा दर्जन ऐसे सांसद हैं, जो नाखुश बताए जाते हैं और समय-समय पर अपना गुबार बाहर निकालते हैं। दस सांसद भी बागी हो गए तो बीजेपी का आंकड़ा 262 पर आ जाएगा। यानी पार्टी अपने दम पर बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। ऐसे में सहयोगियों का सहारा लेना मोदी की मजबूरी बन जाएगी। बीजेपी की सहयोगी शिवसेना की भूमिका साफ नहीं है। हो सकता है कि वह वोटिंग में शामिल न हो। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को लेकर भी संशय की स्थिति बनी रहती है। अपना दल का भी एक सांसद बागी बताया जाता है। ऐसे में पासवान के छह, बादल के चार, नीतीश के दो और महबूबा के एक सांसद का वोट पक्का मान सकते हैं। इनका कुल जोड़ 13 तक पहुंचता है। छोटी पार्टियों के पांच और वोट मिल सकते हैं। यानी बीजेपी को 280 से ज्यादा वोट आसानी से मिल जाएंगे। इस हालत में सरकार तो बच जाएगी, लेकिन 336 सीट जीतकर 2014 में सरकार बनाने वाले मोदी के सामने एक संकट जरूर खड़ा हो जाएगा। 2019 का चुनाव जीतने के लिए उन्हें नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।