वाटर कन्वरजेंश करें तो जल की समस्या का निदान संभव

होशंगाबाद,होशंगाबाद जिले के नर्मदा एवं तवा नदी के संगम बांद्राभान पर आज पंचम नदी महोत्सव का शुभारंभ केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राज मार्ग जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर नर्मदा संरक्षण पर कार्य कर रही सभी सामाजिक संस्थाओ, जनअभियान परिषद् के कार्यकर्ताओं, महोत्सव में शामिल सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जब तक हम वाटर कन्वरजेंश नहीं करेंगे तब तक देश से जल की समस्या कभी खत्म नहीं होगी इसलिए हम वाटर कन्वरजेंश को महत्व दें। हमें वाटर कन्वरजेंश को लेकर कार्य करना होगा। उन्होने बताया कि हमें विभाजन के समय 3 नदियां मिलीं। तीन नदी पाकिस्तान को मिलीं। हमारे अधिकार का पानी पाकिस्तान चला गया और हमारे पास जो तीन नदियों का पानी था। उसकी हम चिंता करते है, चर्चा करते है किंतु जो पानी हमारे पास से दूसरे देश चला गया है उसकी चिंता हम नही करते है। उन्होने बताया कि 2 प्रकार की नदियां है इनमें से कुछ नदी हिमालय से निकालने वाली नदी है। हमारी धरती का 70 प्रतिशत पानी बेकार चला जाता है। इस 70 प्रतिशत पानी के नियोजन की आवश्यकता है इसलिए हमने साढे आठ लाख करोड के 30 प्रोजक्ट बनाए है। हमारे पास पैसों की कमी नहीं है अपितु सही .ष्टिकोण की कमी है सही कम्यूनिकेशन की कमी है। श्री गडकरी ने कहा कि भारत सरकार गंगा प्रोजेक्ट पर साढे पांच लाख करोड के कार्य करेगी। उन्होने बताया कि सड़क मार्ग एवं रेल्वे मार्ग से जाने पर अत्यधिक राशि का खर्च होता है किन्तु जल मार्ग से यात्रा करने पर कम खर्च होता है। उन्होने बताया कि भारत में लॉजिस्टिकल कॉस्ट 18 प्रतिशत है। यदि हम कैनाल बनाएंगे तो उसे भारतीय आधार पर चलाएंगे। उन्होने बताया कि उन्होने पानी पर चलने वाली बस एवं हवाई जहाज खरीदे है। उन्होने कहा कि हम नदी का उपयोग पर्यटन को बढावा देने के लिए कर रहे है। श्री गडकरी ने मध्यप्रदेश शासन की सराहना करते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण एवं वृक्षारोपण के लिए कार्य कर रही है। श्री गडकरी ने कहा कि हमने 5 वर्ष पहले टॉयलेट का पानी शुद्ध करके 18 करोड़ में बेंचा था। इस वर्ष 78 करोड़ में सरकार को पानी बेंच रहे है। हमने सीवेज से मिथेन निकालकर गंगा पर बस चला रहे है। उन्होने सलाह दी कि ग्राम पंचायत एवं जिला पंचायत सडक निर्माण पर डामर के साथ 8 प्रतिशत प्लास्टिक डालकर उसका उपयोग करें। श्री गडकरी ने कहा कि समुद्र का पानी भी शुद्ध करके बेंचा जा रहा है। श्री गडकरी ने कहा कि नदी महोत्सव से जो चिंतन एवं सुझाव निकलेगे उस पर भारत सरकार अमल करेगी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नदी संरक्षण के लिए नर्मदा सेवा यात्रा निकाली गई थी। यह यात्रा 5 माह 5 दिन चली और इस यात्रा से लोगो में नदी संरक्षण के प्रति एक चेतना का भाव जागृत हुआ। जुलाई माह में 6 करोड 63 लाख पौधे लगाए गए जिसमें से 80 प्रतिशत पौधे जीवित है। श्री चौहान ने कहा कि आगामी 15 जुलाई को पुनरू 7 करोड पौधे लगाए जाएंगे और हमने संकल्प लिया है कि प्रदेश की 313 नदियों पर कार्य कर श्रमदान कर उसे पुर्नजीवित किया जाएगा। हमारे लिये तालाब भी महत्वपूर्ण है तो तालाब के पुर्नजीवन पर भी कार्य किया जाएगा। नर्मदा किनारे के 20 जिलो मे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। कुछ जिलो में इसका कार्य भी शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा में जल की धारा बढेगी। इसकी कार्य योजना बनाई जाएगी। नर्मदा के किनारे के गांव में मुक्तिधाम, पूजन कुंड एवं उस क्षेत्र को नशा मुक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। वो हर संभव प्रयास किये जा रहे है जिससे जल की धारा बढ सके व प्रवाहित हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी समस्या दूसरी किस्म की है हमारे प्रदेश में गेहुं, चना, उडद, प्याज, लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। इन उत्पादनों को खपाने एवं रखने की समस्या है। इसके लिए हमने उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई है अब किसानों के बच्चे आलू से चिप्स, टमाटर से प्यूरी बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती का अभियान नर्मदा के तट क्षेत्र पर शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नदी महोत्सव में जो भी चिंतन एवं विमर्श प्रतिभागियों द्वारा किया जाएगा उसे आगे बढाने का प्रयास किया जाएगा।
इसके पूर्व गडकरी, चौहान ने अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक नर्मदा परिक्रमा मार्ग का विमोचन किया। सतगुरू जग्गी वासुदेव द्वारा नदी महोत्सव के आयोजन पर दिए गए संदेश का प्रसारण किया गया। जिसमें उन्होने नदी महोत्सव के लिए सभी को शुभकामनाएं भेजी थीं। कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथिगणों को उत्तरीय एवं श्री अनिल माधव दवे द्वारा लिखित पुस्तक भेट की गई।
सरकार्यवाहक सुरेश सोनी ने कहा कि दुनिया भर में नर्मदा नदी एवं सहायक नदियों को लेकर एक चिंतन चल रहा है। हमारी समस्या यह है कि हमने जल, जंगल, जमीन एवं जानवर को महत्व देना कम कर दिया है। हमारी चिंतन की धारा भारतीय ना होकर पश्चिमी हो गई है। प्रारंभ से ही मनुष्य को कहा गया कि विश्व में जो कुछ भी है वो सब तेरा है। मनुष्य के पास पहले चिंतन था, दर्शन था किंतु ताकत नहीं थीं। आज मनुष्य के हाथ में ताकत है। उन्होने का कि हवा पानी, प्राणी एवं वनस्पति की एक दुनिया है। हमने प्राणी एवं वनस्पति की दुनिया को घर की ड्राइंग रूम में लगे पेंटिंक तक में सीमित कर दिया है। जीवन का अस्तित्व रहे कैसे इस पर हमें चिंतन करना होगा। उन्होने राजस्थान के जैसलमेर का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 700 वर्ष पूर्व ही तालाब के पानी के संरक्षण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया था। हम तकनीकी का उपयोग कर नदियों को पुर्नजीवन दे सकते है। नदी जब एक स्त्रोत तक बहने लगे तब नदी का जीवन है।

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