नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में आज सीबीआइ जज बी एच लोया के रहस्यमयी मौत मामले में सुनवाई हो गई है। इस मामले की एसआइटी जांच की मांग याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया डेथ मामले में एसआइटी जांच कराए जाने की याचिका की सुनवाई पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष कोर्ट ने इसके पहले महाराष्ट्र सरकार को जज लोया का पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपने को कहा था। गौरतलब है कि उनकी मौत 2014 में संदिग्ध अवस्था में हो गई थी जिसमें कोर्ट ने कहा था कि मामला बहुत ही गंभीर है। रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोने और कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने स्वतंत्र याचिका दायर कर इस जस्टिस लोया मर्डर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। जस्टिल लोया सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे जिसमें कई पुलिस अधिकारी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था। 12 जनवरी को आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस मदन बी लोकुर, कुरियन जोसेफ, रंजन गोगोई और जस्टिस चेलमेश्वर ने सीजेआइ दीपक मिश्रा पर कोर्ट के सही संचालन ना करने पर सवाल उठाया था। उनका आरोप था कि शीर्ष अदालत में कुछ मामलों की सुनवाई के लिए चयनित न्यायिक पीठ का गठन किया है। इन चारों जजों के द्वारा लगाए गए। न्यायमूर्ति लोया की मौत चार न्यायाधीशों द्वारा दिए गए कुछ मामलों में से एक है। विशेष सीबीआई अदालत के जज बृज गोपाल हरकिशन लोया की मौत में नागपुर पुलिस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ एक के बाद एक साक्ष्यों का पर्दाफाश करने के बाद एक पत्रिका ने जज लोया के परिजनों के बयान का वीडियो जारी किया है, जिससे जज लोया की रहस्मय मौत पर कई सवाल खड़े होते हैं। इसमें जज लोया की बहन का कहना है कि सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के पक्ष में फैसला देने के लिए जज लोया को 100 करोड़ रुपये और मुंबई में एक घर देने की पेशकश की गई थी। एक दिसंबर, 2014 को 48 वर्षीय जज लोया एक विवाह समारोह में शामिल होने नागपुर गए थे। वहीं, दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। लोया के परिवार के लोग उनकी मौत पर संदेह जताते रहे हैं।