देहरादून,भारत सहित विदेशों के 500 से अधिक मेहमानों के बीच आलिया, श्रद्धा और कंगना का विवाह बबलू, सोनू और नंदू से हुआ। राज्य की परंपरा को बरकरार रखते हुए रविवार को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के पंतवाड़ी गांव में यह आयोजन किया गया। गीत और नृत्य के साथ ‘बकरी स्वयंवर’ का दूसरा संस्करण आयोजित हुआ। इसका उद्देश्य क्षेत्र के प्रगतिशील बकरीपालन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करना था ताकि उन्हें समुचित जानकारी मिल सके। ऑस्ट्रेलिया से आईं पर्यटक तमारा ग्रिबल कहती हैं, यह तरीका साधारण है लेकिन इसके पीछे का संदेश बेहद महत्वपूर्ण है। इसके जरिए पलायन घटेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग खेती की ओर लौटेंगे। कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों ने बताया कि मुख्य उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों की बकरियों और भेड़ों के जीन में सुधार करना है। गौरतलब है कि राज्य में तकरीबन 1.15 लाख बकरीपालन करने वाले किसान पंजीकृत हैं। पशुपालन के आंकड़ों के मुताबिक इस पेशे को विनियमित करने की आवश्यकता है। यदि प्रजनन गलत तरीके से हो तो प्रजाति का विकास संभव नहीं होता है। पिछले दिनों ‘बकरी स्वयंवर’ कार्यक्रम के आयोजन को लेकर उत्तराखंड की पशुपालन राज्यमंत्री रेखा आर्य और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के बीच तनातनी देखी गई। दरअसल सतपाल महाराज का मानना है कि यह उत्तराखंड की संस्कृति का अपमान है।