अहमदाबाद,नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 2016 में सामने आया है कि राज्य में लिंगानुपात में भारी गिरावट आई है। राज्य में प्रति एक हजार लड़कों पर 842 लड़कियां हैं। बाल लिंग अनुपात में 2001 की तुलना में 69 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। दो बेटों वाली 92 फीसदी माताएं और एक बेटे वाली 88 फीसदी माताएं और अधिक बच्चे नहीं चाहतीं। केवल 54 फीसदी महिलाएं ही ऐसी हैं, जिनकी दो बेटिया हैं और बेटे की चाहत में तीसरा बच्चा पैदा नहीं करना चाहतीं। कन्या भ्रूण हत्या के लिहाज से भी गुजरात के आंकड़े निराशाजनक हैं। सर्वे के अनुसार जन्म के समय बाल लिंग अनुपात में गिरावट देखने को मिली है। सन 2001 जनगणना के अनुसार 1000 बालकों पर 886 बच्चियां थीं, लेकिन 2016 में यह आंकड़ा घटकर 848 हो गया और 2017 में यह सिर्फ 842 ही रह गया है।
अधिकारियों का कहना है कि सर्वे में यह बात साफ नजर आती है कि 46 फीसदी महिलाएं बेटे की चाहत में तीसरा बच्चा पैदा करने के लिए भी राजी हैं। सर्वे में यह भी सामने आया कि 12 फीसदी औरतें और 15 फीसदी मर्द संतान के रूप में बेटी से ज्यादा बेटे की इच्छा रखते हैं। सिर्फ दो से तीन फीसदी लोग ही संतान के तौर पर बेटे से ज्यादा बेटी पसंद करते हैं।
सर्वे के अनुसार, ‘ज्यादातर परिवारों का कहना है कि वह एक बेटा और एक बेटी चाहते हैं।’ बेटे की चाहत के साथ गर्भधारण और दूसरे कई मुद्दों पर भी सर्वे किया गया। इसमें यह तथ्य भी सामने आया कि गुजरात में बिना योजना के गर्भधारण बहुत सामान्य बात है। सर्वे के अनुसार, अगर सभी महिलाएं सिर्फ उतने ही बच्चे पैदा करें जितने की उन्होंने योजना बनाई है, तो कुल प्रजनन दर में भी गिरावट आएगी। इस आधार पर फिलहाल प्रति महिला दो बच्चों का आंकड़ा है जो घटकर 1.5 तक ही रह जाएगा।
गुजरात में बिगड़ा लिंगानुपात, एक हजार लड़कों पर केवल 842 लड़कियां
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