नई दिल्ली,बैंक को जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े बड़े कारोबारियों से बैंकों का पैसा वसूल नहीं हो पा रहा है।लेकिन इसकी गाज लघु एवं मध्यम कारोबारियों और उद्योग जगत पर गिरना शुरू हो गई हैं।जिसके कारण पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है।कई दशकों से बैंकों से वित्तीय सहायता लेकर कारोबार कर रहे,लाखों कारोबारी इन दिनों बैंक अधिकारियों के कहर से परेशान हैं। कारोबारी किसी कारण यदि बैंक की किस्तें थोड़ी सी भी लेट हो जाने पर सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही कर के बैंक उद्योग धंधों को बंद कराने का काम कर रहे हैं।
वित्त राज्य मंत्री शिव प्रसाद शुक्ला के अनुसार पिछले 9 माह में बैंकों ने 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए एनपीए अकाउंट में डाल दिए हैं इनकी संख्या 9063 है।पंजाब नेशनल बैंक के 12700 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद बैंक अधिकारी काफी रक्षात्मक हो गए हैं।
इसी बीच वित्त मंत्रालय तथा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों के लिए रातों रात नए नए नियम बना दिए। उन नियमों का पालन पुराने खातेदारों से कराया जा रहा है।जो संभव नहीं है,इसके कारण देश के लाखों वह, कारोबारी जो पिछले कई दशकों से बैंक के साथ ईमानदारी के साथ कारोबार कर रहे हैं। बैंक उनसे ब्याज के रुप में पिछले कई दशकों से ब्याज एवं शुल्क के रूप में करोड़ों रुपए कमाता रहा है।अब बैंक अधिकारी अपने आपको रक्षात्मक रखने के लिए ईमानदार कारोबारियों पर सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करके उनके उद्योग-धंधों को बंद कराने का काम कर रहे हैं। जिसके कारण आने वाले तीन से चार माह में लाखों उद्योग और व्यापार सरफेसी एक्ट के कारण बंद हो जाएंगे। इससे लाखों लोग बेरोजगार होकर सड़कों पर आ जाएंगे।
रिजर्व बैंक ने बैंकिंग नियमों को काफी सख्त कर दिया है।रिजर्व बैंक के अधिकारी एवं ऑडिट अधिकारी थोड़ी सी भी अनियमितता होने पर तुरंत सरफेसी एक्ट में कार्यवाही करने के लिए दबाव बना रहे हैं। बैंक मैनेजर भी अपने आप को बचाए रखने के लिए नकारात्मक धारणा रखकर सरफेसी एक्ट के तहत कार्रवाई करके अपने आप को सुरक्षित कर रहे हैं। जिसके कारण भारत का पूरा अर्थ तंत्र ही डगमगा गया है। बैंक अधिकारी कारोबारियों से उनकी समस्या भी नहीं जानना चाहते हैं वह ऐसी स्थिति में जरा भी जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। बैंक कारोबारियों की वास्तविक समस्या को समझने के लिए तैयार नही हैं जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम अभी तक की सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। बैंकों का लगभग इस वर्ष के अंत तक 12 लाख करोड रुपए से ऊपर एनपीए अकाउंट में चला जाएगा । बैंक सरफेसी एक्ट के तहत बैंक में रखी बंधक संपत्ति और कारोबार को जप्त करके नीलामी की प्रक्रिया शुरु करा रहे है। जिसके कारण अच्छे भले कई वर्षों से चलने वाले उद्योग और कारोबार एक ही झटके में बंद हो रहे हैं। वहीं इन संपत्तियों को और स्टॉक को खरीदने के लिए खरीदार उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। जिसके कारण बैंकों को जप्त संपत्ति की देखरेख करने में करोड़ों रुपया रुपए प्रतिमाह अलग से खर्चा करना पड़ रहा है। जिस तरह की की दहशत बैंकिंग सेक्टर में देखने को मिल रही है।उससे स्पष्ट है कि यदि 1 माह और इसी तरीके की स्थिति बनी रही, तो देश के लाखों प्रतिष्ठान जो बैंक से सहायता लेकर अपना कारोबार करते थे। वह बंद हो जाएंगे,और लाखों लोग सड़कों पर बेरोजगार हो जाएंगे।