सेप्टिक टैंक की खुदाई के दौरान मिट्टी धसकने से दबे 4 मजदूर

मण्डला, शहर में व्यावसायिक प्रयोजन हेतु किये जाने वाले निर्माण कार्यो की संख्या लगातार बढती चली जा रही है। आवासीय प्रयोजनों के भूखण्डों पर बेतरतीब ढंग व्यावसायिक प्रयोजन के निर्माण किये जा रहे हैं, नियम विरूद्व होने वाले इन निर्माण कार्यो में काम करने वाले मजदूरों की जिन्दगी की कोई गारंटी नहीं रहती है। इस तरह के कार्यो में भूमि स्वामी शासन के नियमों की अवहेलना करते हुये जरा से लाभ के लिये मजदूरों की जान खतरे में डाल देते हैं। कई बार ऐसे हादसे भी हो जाते हैं जिनमें मजदूर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। गुरूवार को बिनैका तिराहे के समीप राधा स्वामी ट्रांसपोर्ट के बाजू की भूमि पर दुकान, गोदाम निर्माण के लिये कार्य चल रहा था जिसमें मजदूरों के द्वारा सेप्टिक टैंक की खुदाई की जा रही थी बिना किसी सावधानी व निगरानी के हो रहे इस कार्य में अचानक एक हादसा घटित हो गया जिसमें टैंक की मिटटी भरभरा कर अंदर गिर गई और काम कर रहे 4 मजदूर इसमें दबे रह गये। स्थानीय नागरिकों की सूझबूझ और पुलिस की तत्परता के चलते मिटटी में दबे चारों मजदूरों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया और कोई बडी घटना नहीं घट पायी। इस हादसे में दो महिला मजदूरों के पैर टूट गये हैं वहीं अन्य दो को गंभीर चोटें हुई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राधा स्वामी ट्रांसपोर्ट व पेट्रोल पंप की बीच स्थित भूमि के भूमि स्वामी अनिल ककवानी द्वारा व्यावसायिक प्रयोजन हेतु निर्माण कार्य कराया जा रहा था जिसमें मजदूर गोमती बाई, आरती परते, कौशल्या यादव व मनीष सिंधिया सेप्टिक टैंक की खुदाई का काम कर रहे थे। लगभग 12 फिट गहरी खुदाई के बाद और भी गहराई की जा रही थी इसी दौरान एक किनारे की मिटटी टैंक के अंदर ही भरभरा कर गिर गई जिसमें चारों मजदूर दबे रह गये। घटना होते ही स्थानीय नागरिकों और कुछ जुझारू युवाओं ने बिना देर किये टैंक में घुसकर मिट्टी हटाने का काम शुरू कर दिया इतने में थाना कोतवाली के प्रभारी जीएस मर्सकोले अपनी टीम के साथ पहुंचे और उन्होंने भी बचाव अभियान का मोर्चा संभाल लिया। हाथ से मिट्टी हटाते हुये बडी सूझबूझ और सावधानी के साथ चारों मजदूरों को जीवित निकाल लिया गया जिन्हें तत्काल उपचार हेतु जिला चिकित्सालय भेजा गया। चारों मजदूरों मे गोमती बाई और आरती के पैर में गंभीर चोट होने के कारण फेक्चर होने की सूचना मिली है वहीं कौशल्या व मनीष को सामान्य उपचार के बाद अस्पताल से छुटटी दे दी गई है। इस पूरी घटना में मजदूरों की जान बचाने के लिये रूपेश इसरानी जैसे अन्य युवा अपनी जान की परवाह किये बिना जुटे रहे और चारों मजदूरों को सकुशल निकालने में इन्हीं सक्रिय युवाओं का विशेष योगदान है। मानवीय कार्यो में अपनी जान की परवाह किये बिना इस तरह जुटे रहना अपने आप में एक मिसाल होनी चाहिए। वहीं भूमि स्वामी अनिल ककवानी जैसे लोगों के लिये कठोर कार्यवाही के मापदण्ड तय कर सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि मजदूरों की जान के साथ खेलने वाले ऐसे लोगों को सबक मिल सके और आने वाले समय में हर व्यक्ति सतर्क व सावधान होकर ही निर्माण कार्य करवाये ताकि मजदूरों की जान खतरे में न पडे।

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