भोपाल,कस्टम सेंट्रल एक्साइज विभाग के अफसर 3 हजार 364 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावों की मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में छानबीन में जुटे हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) के निर्देश पर हुई जांच में करीब 236 करोड़ के दावे झूठे पाए गए, विभाग की सख्ती के बाद तुरंत ही 77 करोड़ रुपए लौटा दिए गए। सूत्रों की माने तो जीएसटी लागू होने के बाद दोनों राज्यों से हजारों कारोबारियों ने रिफंड मांग लिया है। बड़ी संख्या में कारोबारियों द्वारा विभागीय फार्मेट से अलग तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट मांग की गई। इनमें कुछ ऐसे मामले भी हैं, जिनमें दोबारा क्रेडिट के लिए दावा कर दिया। विभाग द्वारा व्यापक स्तर पर की जा रही छानबीन में बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी खुले, जिनमें पता चला कि एक बार नकार दिए जाने के बाद भी ‘क्लेम” कर दिया गया। इस तरह अब तक 236 करोड़ रुपए के मामलों का खुलासा हो चुका है। छानबीन के लिए विभाग ने कारोबारियों को दिशा-निर्देश भी भेजे हैं। दोनों राज्यों में पंजीकृत कारोबारियों की संख्या लगभग पांच लाख पहुंच गई है। इनमें 1 लाख 37 हजार 475 नए पंजीयन वाले हैं। मप्र के पुराने मामलों में 2 लाख 72 हजार 525 और छत्तीसगढ़ के एक लाख 4 हजार 355 पंजीयन हैं। कस्टम सेंट्रल एक्साइज विभाग ने फिलहाल बड़े मामलों को ही छानबीन और परीक्षण के लिए लिया है। दावों की जांच और सत्यापन के लिए विभाग ने कारोबारियों से हजारों दस्तावेज तलब किए हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि दस्तावेजों के परीक्षण की माथापच्ची अभी छह-आठ माह तक चलेगी। सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी और वेट से जो कारोबारी जीएसटी में शिफ्ट हुए हैं उन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट पाने के लिए दावे किए हैं। उनके पास एक जुलाई 2017 के पहले जो सामान अथवा सर्विस स्टॉक में था, उसके दस्तावेजों के आधार पर ड्यूटी अथवा टैक्स राशि का हिसाब दिया गया। इस राशि का जीएसटी में इनपुट दिया जा रहा है। इसे ही इनपुट टैक्स क्रेडिट कहा गया है।
सीबीईसी की जांच में फर्जी पाए गए करोडों के इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे
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