चिदंबरम ने नियम विरुद्ध दी एयरसेल-मैक्सिम में विदेशी निवेश को मंजूरी : ईडी

नई दिल्ली,एयरसेल-मैक्सिस करार में नियमों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सर्वोच्च अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में ईडी ने आरोप लगाया एयरसेल-मैक्सिस को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी देने की ‘साजिश’ में पी. चिदंबरम भी शामिल थे। ईडी ने कहा है कि साजिश के तहत वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया, ताकि मामले को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के पास नहीं भेजना पड़े। आर्थिक मामले की कैबिनेट समिति के समक्ष जाने पर यह मामला निश्चित ही फंस जाता। यही वजह रही कि वित्त मंत्री के रूप में पी. चिदंबरम ने अपने ही स्तर पर इसे मंजूरी दे दी। हलफनामे में ईडी ने एफआईपीबी के तत्कालीन सेक्रटरी, एडीशनल सेक्रटरी, डिप्टी सेक्रटरी और अंडर सेक्रटरी समेत बड़े अधिकारियों पर सवाल उठाए हैं, जो एजेंसी के मुताबिक ‘साजिश’ में शामिल थे। पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति का कहना है कि ईडी और सीबीआई द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इन्हें विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए मोदी सरकार के इशारे पर उनके ऊपर थोपा जा रहा है।
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि एयरसेल ने 2006 में 3,500 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लाने के लिए इजाजत मांगी थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इन आंकड़ों को कम करके दिखाया। ईडी के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने मामले को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के पास जाने से बचाने के लिए दिखाया कि एयरसेल ने सिर्फ 180 करोड़ रुपये की एफडीआई की इजाजत मांगी है। उस समय लागू नियमों के मुताबिक 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को वित्त मंत्री एफआईपीबी के जरिए मंजूरी दे सकते थे।
ईडी का हलफनामा उसकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एयरसेल-मैक्सिस केस की जांच को लेकर दाखिल किए गए स्टेटस रिपोर्ट का हिस्सा है। कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होनी है। ईडी ने आरोप लगाया है कि एयरसेल को एफआईपीबी से मंजूरी मिलने के एवज में पूर्व वित्त मंत्री के बेटे कार्ति चिदंबरम को 11 अप्रैल 2006 को 26 लाख रुपये दिए गए। ईडी के हलफनामे ने पी. चिदंबरम को कथित एफआईपीबी स्कैम की तेज होती जांच के केंद्र में खड़ा कर दिया है। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के तहत अधिकारियों के बयानों को कोर्ट में सुबूत के तौर पर मान्यता है। इस मामले की भी पीएमएलए के तहत ही जांच हो रही है। ईडी ने हलफनामे में दावा किया है कि उसने मामले की जांच के सिलसिले में मई 2014 से 2009 और अगस्त 2012 से मई 2014 के बीच की एफआईपीबी से जुड़ी 2,721 फाइलों को खंगाला है। इनमें से एयरसेल केस समेत 54 ऐसी फाइलों पर ईडी ने फोकस रखा है, जिन्हें पी. चिदंबरम ने मंजूरी दी थी।
ईडी ने जुलाई 2016 से अक्टूबर 2016 के बीच एफआईपीबी के अधिकारियों से पूछताछ का पहला चरण पूरा किया था। एफआईपीबी के तत्कालीन अंडर सेक्रटरी राम शरण और डिप्टी सेक्रटरी दीपक सिंह से ईडी ने गहन पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए थे। हलफनामे के मुताबिक एफआईपीबी अधिकारियों ने बताया कि 80 करोड़ डॉलर (3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा) का निवेश हुआ था और कायदे से यह मामला आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के पास जाना चाहिए था। लेकिन साजिश के तहत यह दिखाया गया कि सिर्फ 180 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश को मंजूरी के लिए इजाजत मांगी गई है और तत्कालीन वित्त मंत्री ने उसे मंजूरी दे दी, जबकि उन्हें इसका अधिकार नहीं था।

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