जबलपुर,मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राजशाही नहीं, लोकशाही चल रही है, ऐसे में भर्राशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गुलमोहर ट्रेडर्स (शराब ठेकेदार) डिफॉल्टर है। अत: सरकार उसे डिफॉल्टर ही माने और निविदा-नीलामी प्रक्रिया से बाहर रखे। कोर्ट ने सिंगल बेंच से गुलमोहर ट्रेडर्स के हक में पूर्व में पारित अंतरिम आदेश निरस्त कर दिया। इससे पूर्व रिट अपीलकर्ता जबलपुर निवासी अमन जायसवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवीश चंद्र अग्रवाल व अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि बुरहानपुर के गुलमोहर ट्रेडर्स को दमोह और सतना की शराब दुकानों की निविदा-नीलामी प्रक्रिया से बाहर रखा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसके खिलाफ बड़ी वसूली बाकी है। इसीलिए उसे डिफॉल्टर की श्रेणी में रखा गया है। इसके बावजूद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से पूर्व में कठोर कार्रवाई न किए जाने संबंधी अंतरिम राहत मिलने के आधार पर वह लाभ उठा रहा है। लिहाजा, वह आदेश निरस्त किए जाने योग्य है। ऐसा इसलिए भी ताकि रिट अपीलकर्ता अमन जायसवाल सहित अन्य वास्तविक हकदार निविदाकर्ताओं को लाभ मिल सके। हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच का पूर्व आदेश निरस्त करते हुए साफ किया कि 50 प्रतिशत सिक्योरिटी डिपॉजिट के जरिए रिन्यूवल नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए, क्योंकि जो भी प्रक्रिया शराब दुकान नीलामी या निविदा के संबंध में अपनाई जाएगी, वह आबकारी नीति के अंतर्गत ही वैधानिक मानी जाएगी। ऐसे में सिंगल बेंच का अपने अंतरिम आदेश में यह व्यवस्था देना कि दमोह व सतना की दो दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में पूर्व बकाया राशि की 50 फीसदी राशि जमा करने की सूरत में नीलामी-निविदा प्रक्रिया में शामिल होने दिया जाए, सर्वथा अनुचित है। इसी आधार पर गुलमोहर ट्रेडर्स और उसके पार्टनर दूसरी दुकानों की नीलामी-निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे। जबकि डिफॉल्टर घोषित करने की नवीन नीति में साफ लिखा है कि जो भी शराब ठेकेदार डिफॉल्टर घोषित होगा, उसकी फर्म के साथ-साथ सभी पार्टनर प्रदेश की किसी भी शराब दुकान की निविदा-नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगे।