ED करेगा कार्ति से पूछताछ,चिदंबरम के निकट पहुंची आईएनएक्स मामले की जांच,अफसरों से भी होगी पूछताछ

नई दिल्ली,पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी के स्वामित्व वाली आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को मंजूरी देने के मामले में कार्ति चिदंबरम से मिलीभगत के आरोप पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) के पूर्व सदस्यों से पूछताछ करेगा। यह जांच अब यूपीए सरकार के दौरान वित्त मंत्रालय के कामकाज के करीब पहुंच गई है, जिसके प्रमुख पी. चिदंबरम रहे हैं।
एफआईपीबी को प्रभावित करने के आरोप में कार्ति से न्यायिक हिरासत में पूछताछ की जा रही है। एफआईपीबी को पिछले साल भंग कर दिया गया था। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव इसके प्रमुख हुआ करते थे। एफआईपीबी में डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी), वाणिज्य और विदेश मंत्रालयों का भी प्रतिनिधित्व हुआ करता था।
कार्ति के खिलाफ चल रही जांच से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं, जो उस समय एफआईपीबी से जुड़े हुए थे जब आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को मंजूरी मिली थी। एक अधिकारी ने बताया कि जांच एजेंसियों ने इंद्राणी और पीटर मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया को मिली एफआईपीबी की मंजूरी की बारीक पड़ताल करने के बाद नोटिस जारी किए हैं। इससे पहले कार्ति के वकीलों ने कहा था कि एजेंसियां एफआईपीबी के अधिकारियों से पूछताछ नहीं कर रही हैं, जबकि एफआईआर में अज्ञात एफआईपीबी सदस्यों और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का जिक्र किया गया है।
इसलिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इस कदम की काफी अहमियत है। जांच एजेंसियों ने यह नहीं बताया कि किन अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं। एक बड़े अधिकारी ने बताया संबंधित एफआईपीबी अप्रूवल की पड़ताल के बाद नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा कार्ति के मालिकाना हक वाली चार कंपनियों को घूस देने के मामलों की भी जांच चल रही है।
एक अधिकारी ने बताया एक मामला दर्ज किया गया है, जबकि चार में अभी जांच चल रही है। ईडी ने जो चार शिकायतें भेजी हैं, उनमें सीबीआई अगर किसी में केस दर्ज करती है तो हमारी तरफ से जरूरी कार्रवाई शुरू की जाएगी। जांच एजेंसियां रिश्वत देने के सबूत भी तलाश रही हैं। उनका कहना है कि इससे कथित तौर पर उन कंपनियों के बारे में जानकारी मिल सकती है, जिन्हें कार्ति और उनके संपर्कों की वजह से फायदा हुआ था। तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम का नाम सीबीआई की एफआईआर में नहीं है, लेकिन जांच एजेंसी ने कहा है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने तब विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने में पक्षपात किया था। अडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के चार ‘मालिकों’ से भी कुछ पेमेंट्स के बारे में पूछताछ की जा सकती है। जांच एजेंसियों को शक है कि यह पैसा एफआईपीबी क्लियरेंस को मैनेज करने के लिए कार्ति को दिया गया था। इस बीच, मंगलवार को सीबीआई कार्ति की हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग कर सकती है।

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