श्रीश्री और ओवैसी में जुबानी जंग भड़काऊ बयान पर माफ़ी मांगे श्रीश्री

बरेली,श्रीश्री रविशंकर और ऑल इंडिया मजलिस- ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बीच मंगलवार को तीखा वार-पलटवार देखने को मिला। वजह बना श्रीश्री का वह बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि विवाद न सुलझने से देश सीरिया में बदल जाएगा। ओवैसी ने इस बयान को भड़काऊ बताते हुए श्रीश्री पर केस दर्ज करने की मांग की है। वहीं, इसके बाद श्रीश्री ने ओवैसी पर पलटवार किया। उन्होंने लिखा, सावधानी को धमकी मानना और सौहार्द को हमला मानना विकृत मन की पहचान है। राम मंदिर मुद्दे को अदालत से बाहर सुलझाए जाने को लेकर प्रयासरत श्रीश्री रविशंकर ने मंगलवार को अपने बयान पर सफाई दी। अपने बयान पर जवाब देते हुए श्रीश्री रविशंकर ने कहा, वह कोई धमकी थोड़ी न है, वह तो चेतावनी है। श्रीश्री ने यह भी कहा था, भारत में शांति रहने दीजिए। हमारे देश को सीरिया जैसा नहीं बनना चाहिए। ऐसी हरकत यहां हो जाए तो सत्यानाश हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता कि मैं किसी को धमकी दूं। जो हमने कहा कि हमारे देश में ऐसी हिंसा नहीं होनी चाहिए, जैसी मिडल ईस्ट में हो रही है। श्रीश्री के जवाब में ओवैसी ने कहा, इससे स्पष्ट होता है कि इन्हें संविधान पर भरोसा ही नहीं है। संविधान, कोर्ट और कानून पर भरोसा न करने वाले ऐसे इंसान को एफआईआर दर्ज करके जेल में बंद कर देना चाहिए। वह खुलेआम लोगों को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं और डर और हिंसा का माहौल बना रहे हैं। अगर इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। पिछले दिनों वाराणसी में श्रीश्री ने कहा था कि देश की 100 करोड़ लोगों की भावना और उनका सम्मान अयोध्या में कुछ एकड़ के जमीन के टुकड़े से कहीं बड़े हैं। इस सम्मान के संरक्षण के लिए आपसी सौहार्द कायम करना ही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से मंदिर का निर्माण हो सके तो इससे संघर्ष के सभी कारण हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे। महाभारत का जिक्र करते हुए रविशंकर ने कहा कि कुछ लोग यह कहते हैं कि वह मंदिर निर्माण के लिए एक इंच भी भूमि नहीं देंगे। मैं यह कहना चाहता हूं कि दुर्योधन मत बनो, यह नासमझी की बात है।

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