नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से एक जनहित याचिका के संबंध में जवाब देने के लिए कहा है। इस याचिका में वोटों की गिनती करने वाली प्रणाली (टोटलाइजर) से डाटा लीक होने या इसके हैक होने की आशंकाओं के बारे में सवाल पूछे गए हैं। यूनियन ऑफ इंडिया ने कोर्ट से कहा कि वह चुनाव को मजबूती प्रदान करने की बात से पूर्णतया सहमत हैं। उन्होंने कहा- टोटलाइजर के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की आशंकाए हैं।
क्या होता है टोटलाइजर?
टोटालाइजर के जरिए किसी भी चुनाव क्षेत्र की सभी इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मतों को मिला दिया जाता है। इससे गिनती के वक्त यह पता लगाने की संभावना खत्म हो जाती है कि किस बूथ से किस राजनीतिक दल को कितने मत मिले हैं। यह प्रक्रिया बैलेट पेपर के जरिए होने वाले चुनावों के दौरान भी अपनाई जाती रही है जिसमें सारे मतपत्रों को मिला दिया जाता था। ईवीएम का इस्तेमाल शुरू होने के बाद इस प्रक्रिया के लिए टोटलाइजर मशीन के इस्तेमाल का प्रस्ताव आया था। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें पोल पैनल को एक संसदीय क्षेत्र मतों को मिलाने के निर्देश दिए गए थे। इससे उम्मीदवार को उन क्षेत्रों के लोगों को धमकाने से रोका जा सकता है जिन्होंने उसे वोट नहीं दिया था। चुनाव आयोग ने टोटलाइजर प्रणाली का 2008 में यूपीए को सुझाव दिया था। 2014 में आम चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने लोगों को धमकाते हुए कहा था कि उनकी पार्टी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) वोटिंग मशीन के जरिए वोटिंग पैटर्न का पता लगा सकती है। ऐसे में जो लोग उन्हें वोट नहीं देंगे उनके घरों में पानी की सप्लाई बंद कर दी जाएगी।