अगरतला, त्रिपुरा में भाजपा के वाममोर्चो के 25 साल के शासन का अंत करने के बाद प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बिप्लव देब ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस बारे में फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड को लेना है। जिम इंस्ट्रक्टर से नेता बने बिप्लव देब ने भारी समर्थन के लिए त्रिपुरा के लोगों का आभार जताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पार्टी के शानदार प्रदर्शन का श्रेय दिया। उन्होंने कहा, मैं जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं। मैं किसी भी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटूंगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के अगले मुख्यमंत्री को लेकर अंतिम फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा। मुझे पहले ही एक बड़ी जिम्मेदारी मिली हुई है, जो कि प्रदेश में पार्टी की कमान संभालने की है, जिसे मैं अपनी पूरी क्षमता से निभाता रहा हूं। बता दें कि बीजेपी ने वामदलों को त्रिपुरा में हराकर तहलका मचा दिया है। उसने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए त्रिपुरा में 25 साल से सत्तारूढ़ माणिक सरकार को बाहर कर दिया है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं, त्रिपुरा के राज्य भाजपा अध्यक्ष बिप्लव देव। हालांकि पार्टी ने अब तक उनके नाम की घोषणा नहीं की है। लेकिन उनके नाम पर मुहर लगना तय लग रहा है। त्रिपुरा में जीत के बाद बीजेपी के महासचिव राम माधव ने ट्वीट करते हुए बिप्लव देव को बधाई दी।
कौन हैं बिप्लव देब:-
बिपल्व देव आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं। उन्हें साल-2016 में बीजेपी ने राज्य का अध्यक्ष बनाया था। यह ज़िम्मेदारी मिलते ही सिर्फ दो साल में उन्होंने बीजेपी के लिए राज्य में कायापलट कर दिया। पूर्वोत्तर में प्रधानमंत्री की खास दिलचस्पी थी। इसलिए उन्होंने बिप्लव देव को दिल्ली से त्रिपुरा भेजा दिया, ताकि बीजेपी वहां अपनी पैठ जमा सके। बिप्लव देव का जन्म दक्षिण त्रिपुरा में हुआ था। लेकिन उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही हुई है। आरएसएस का कार्यकर्ता होने के चलते उनका ज़्यादातर समय आरएसएस के हेडक्वॉर्टर नागपुर में बीता है।उधर,त्रिपुरा में करारी हार के बाद माणिक सरकार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। माणिक सरकार ने रविवार को राज्यपाल तथागत रॉय से मुलाकात की और अपना त्यागपत्र सौंपा। वहीं,प्रचंड जीत हासिल करने के बाद अब त्रिपुरा का नया मुख्यमंत्री कौन होगा,इस लेकर अटकलें जारी है। मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष विप्लव देव बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही बीजेपी के राज्य प्रभारी सुनील देवधर भी चर्चा में हैं। आपको बता दें कि त्रिपुरा में भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन को 59 सीटों में से 43 सीटों पर जीत मिली।
भाजपा की झोली में 35 सीटें आई जबकि आईपीएफटी आठ सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। इस गठबंधन ने प्रदेश की सभी सुरक्षित 20 जनजातीय विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है। त्रिपुरा में भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1.5 फीसदी वोट मिले थे और 50 में 49 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। जबकि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं,वाम मोर्चे को 2013 के चुनाव में कुल 50 सीटें मिली थीं। लेकिन, इस बार सिर्फ 16 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। माकपा और भाकपा गठबंधन को 44 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं, जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग छह फीसदी कम है।
माकपा को अकेले 42.7 फीसदी वोट मिले हैं। मुख्यमंत्री माणिक सरकार धनपुर सीट पर विजयी हुए हैं। वह पिछले 20 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली थी लेकिन इसबार पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। प्रदेश के 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान हुए थे। जनजातीय सुरक्षित सीट चारीलम में 12 मार्च को मतदान होगा। यहां माकपा उम्मीदवार नारायण देबबर्मा का निधन हो जाने से मतदान नहीं हो पाया था।