भोपाल,संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल गुरुवार को 12वें दिन भी जारी रही। हड़ताल से प्रदेश भर की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता की थी, लेकिन यह वार्ता विफल रही। कर्मचारी नियमितीकरण की हड़ताल के लिए अड़े हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। कर्मचारियों ने जेपी अस्पताल में कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इन्होंने होली के त्योहार का भी बहिष्कार किया। मरीज अपना इलाज कराने अस्पताल आ रहे हैं, उन्हे डॉक्टर तक पहुंचाने और वापस परिसर के बाहर जाने का जिम्मा अस्पताल प्रशासन नहीं ले रहा। परिजन खुद अपने परिवार के सदस्य को स्ट्रेचर पर ले जाकर इलाज करा रहे।
108 एम्बुलेंस के पहिये थमे
आपातकालीन एंबुलेंस सेवा 108 के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गये हैं। भोपाल समेत प्रदेश के कई जिलों के 108 एम्बुलेंस कर्मी हड़ताल कर रहे हैं। इनका आरोप है कि पिछले तीन माह से उनके मासिक वेतन में अनावश्यक रूप से कटौती की जा रही है। राजधानी के जय प्रकाश अस्पताल में इकठ्ठा हुए एम्बुलेंस कर्मचारी संगठनों के पदािधकारियों ने राज्य सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। एम्बुलेंस चलाने वाले ड्राइवरों ने बताया कि फरवरी माह के वेतन बिना बताए तीन हजार रुपए काट लिए गए, इससे पहले भी पूरी तनख्वाह नहीं दी गई थी। इस संबध में पहले की गई शिकायत के बाद आश्वासन मिला था की पहले हुई कटौती का भुगतान इस माह कर दिया जाएगा।
एंबुलेंस नहीं मिली, मासूम की जान गई
प्रदेश के रतलाम में एंबुलेंस नहीं होने की वजह से चार साल की एक मासूम की मौत हो गई। तबीयत खराब होने पर बच्ची के माता-पिता उसे गांव के सरकारी हेल्थकेयर में लेकर गए, जहां डॉक्टर ने उसे रतलाम रेफऱ कर दिया। जब बच्ची के पिता ने एंबुलेंस मांगा तो उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस नहीं है। बच्ची के पिता घनश्याम उसे बाइक पर बिठाकर 30 किलोमीटर दूर रतलाम पहुंचे। इस दौरान बच्ची की मां ने उसे ग्लूकोज का ड्रिप के साथ पकड़ा हुआ था। बताया जा रहा है कि बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। सैलाना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में केवल एक एम्बुलेंस था और वह भी तीन महीने पहले टूट चुका था।