AKVN से जुड़े 719 करोड़ के घोटाले में सुधीर और गिरीश अग्रवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

भोपाल,मध्यप्रदेश के राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम में 719 करोड़ रुपए के घोटाले में ईओडब्ल्यू ने आठ आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया है। इस मामले में एक आरोपी को अदालत में पेश होने पर जमानत भी मिल गई है। वहीं दो अन्य आरोपियों सुधीर अग्रवाल और गिरीश अग्रवाल के अदालत में पेश नहीं होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
इस मामले में जांच उपरांत ईओडब्ल्यू की ओर से 20 डिफाल्टर कंपनियों के खिलाफ पहले चालान पेश किया जा चुका है। कंपनियों के अलावा एकेवीएन के तत्कालीन अध्यक्ष व वर्तमान विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, दूसरे अध्यक्ष व पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा, संचालक व आईएएस अफसर अजय आचार्य, आईएएस अफसर व प्रबंध संचालक एनपी राजन और जनरल मैनेजर एकाउन्ट्स एमएल स्वर्णकार के खिलाफ चालान पेश किया था। ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद 27 फरवरी 2018 को मेसर्स भास्कर इंस्डस्टीज के तत्कालीन संचालक सुधीर अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और तत्कालीन संचालक नागेन्द्र मोहन शुक्ला के खिलाफ पूरक चालान पेश किया था। तीनों आरोपियों को अदालत में हाजिर होने के लिए ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी किया था। नोटिस पर शुक्ला अदालत में हाजिर हुए, उन्हें अदालत से जमानत मिल गई।
भास्कर समूह के सुधीर और गिरीश अग्रवाल के अदालत में हाजिर न होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने राजेन्द्र कुमार सिंह, नरेन्द्र नाहटा, अजय आचार्य, एमपी राजन और एमएल स्वर्णकार को नामजद आरोपी बनाया है। उनके खिलाफ भी चालान पेश कर दिया गया है। इस मामले में दोनों अध्यक्ष और दोनों संचालक के खिलाफ पहले भी चालान पेश हो चुक हैं और नियमित पेशी पर आने से उन्हें हाजिरी माफी मिली हुई है, इसलिए अदालत में हाजिर नहीं हुए है। इसलिए उनके खिलाफ वारंट जारी नहीं किया गया है। सूत्रों की माने तो एकेवीएन के तत्कालीन अध्यक्ष, संचालक मंडल, प्रबंध संचालक और अधिकारियों ने षड़यंत्र रचकर 42 डिफाल्टर कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए ऋण दिया था। इससे शासन को 719 करोड़ रुपए की आर्थिक हानि हुई थी। वर्तमान में ब्याज मिलाकर यह आंकड़ा 7536.57 करोड़ रुपए हो गया है। ईओडब्ल्यू ने मामले में 2004 में आईपीसी की धारा 409, 420, 467,468,471, 120 बी, भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा13(1) सहपाठित धारा 13(2) 1998 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।

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