चेन्नई, कांचीपुरम मठ के 82 वर्षीय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को परंपरागत तरीके से उनके गुरु के बगल में महासमाधि दे दी गई। महासमाधि से पहले पारंपरिक पूजा-पाठ और जरूरी संस्कार किए गए। स्वामी जयेंद्र सरस्वती इस पीठ के 69वें शंकराचार्य थे। इस अवसर पर देश के प्रमुख संत-महात्मा, राजनेता और समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे।
देश के सबसे ताकतवर संत माने जाने वाले शंकराचार्य की महासमाधि की प्रक्रिया गुरुवार सुबह शुरू की गई। इस मौके पर देशभर से नामी संत और मठ के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित भी शंकराचार्य के दर्शन करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। पार्थिव शरीर को दफनाने की प्रकिया जिसे वृंदावन प्रवेशम कहा जाता है, अभिषेकम (स्नान) के साथ शुरू हुई। अभिषेकम के लिए दूध और शहद जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया गया। अभिषेकम की प्रक्रिया स्वामी विजयेंद्र सरस्वती तथा परिजनों की मौजूदगी में पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मठ के मुख्य प्रांगण में हुई। मठ के एक अधिकारी ने कहा कि स्वामी जयेंद्र सरस्वती का पार्थिव शरीर बाद में वृंदावन उपभवन ले जाया गया। वहीं उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के अवशेष वर्ष 1993 में रखे गए थे। इस मौके पर महासमाधि से पहले किए जाने वाले अनुष्ठान और संस्कार भी मठ के महंतों द्वारा किए गए। कई गणमान्य लोग महासमाधि की प्रक्रिया के दौरान उपस्थित थे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थी।