गुरुग्राम,गुरुग्राम के एक स्कूल में हुए प्रदुमन मर्डर केस में आरोपी बस कंडक्टर अशोक कुमार को कोर्ट ने बुधवार को बरी कर दिया है। बस कंडक्टर को गुरुग्राम पुलिस ने इस केस में मुख्य आरोपी बनाया था। लेकिन बाद में जांच के दौरान सीबीआई ने उस क्लीन चिट दे दी थी। जिला जज जसबीर कुंडू की अदालत ने उस बरी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने स्कूल के अधिकारी जेएस थॉमस और फ्रांसिस थॉमस को 10 अप्रैल को पेश होने का आदेश देते हुए सीबीआई और स्टेट पुलिस के एफआईआर को मर्ज करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं 10 अप्रैल तक सीबीआई को अपनी जांच पूरी करके फाइनल चार्जशीट फाइल करने का आदेश भी दिया गया है।
22 नवंबर को 76 दिनों तक हिरासत में रहने के बाद बस कंडक्टर अशोक कुमार कोर्ट ने जमानत दे दी थी। रिहाई के बाद अशोक ने कहा ‘मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे न्याय दिया। हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है। मुझे हिरासत में टॉर्चर किया गया। करंट के झटके दिए गए। थर्ड डिग्री देकर जुर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया गया था। अशोक की घर वापसी की खुश पत्नी ने कहा था,मुझे पहले से ही पता था वो निर्दोष हैं। उसने कभी अपने बच्चों पर हाथ तक नहीं उठाया। वो किसी मासूम की हत्या कैसे कर पाएगा। आज मेरे लिए होली और दीवाली का दिन है। मैं ही जानती हूं कैसे ये 76 दिन बीते है। मेरी हर रात रो के गुजरी है। अशोक के आने से परिवार के सदस्यों की उम्मीदे बढ़ गई। वो आगे भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनके साथ गांव का सपोर्ट है। पूरा गांव उनके दुख-सुख में साथ खड़ा रहा। उनकी मदद करता रहा है। अशोक कुमार को 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत मिली थी। अशोक पड़ोसी महेश राघव ने अपनी जमीन की रजिस्ट्री के पेपर बतौर जमानत दिया था। महेश ने कहा था,हमारे घर की दीवार एक है। मैंने अपनी जमीन की रजिस्ट्री के पेपर बतौर जमानत दिया है। गांववालों ने भी 50-100 रुपये तक का चंदा लगाकर अशोक की मदद की है।’आरोपी के वकील मोहित वर्मा ने कहा था कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। अदालत ने अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें जमानत दे दी। अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जिंदगी और स्वतंत्रता का अधिकार देता है।