रायपुर,छत्तीसगढ़ बजट सत्र के 22वें दिन विधानसभा में आज नेता प्रतिपक्ष विधानसभा टी.एस. सिंहदेव ने राजस्व मंत्री से पूछा कि वर्ष 2012-13 से 2017-18 में जिला महासमुंद की महासमुंद तहसील के अंतर्गत वनभूमि, शासकीय भूमि तथा आदिवासियों की भूमि के अवैध क्रय-विक्रय एवं अवैध कब्जा की कितनी शिकायतें और खरीद-बिक्री करने वाले विक्रेता एवं क्रेता तथा एवं अवैध कब्जाधारियों का नाम,पता,जाति सहित राजस्व निरीक्षक मंडलवार एवं उक्त प्रकरणों में कौन-कौन दोषी पाये गये हैं और क्या कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन खरीदी-बिक्री के पूर्व कलेक्टर से अनुमति लिये जाने का प्रावधान है। और महासमुंद तहसील के अंतर्गत आदिवासियों की जमीन खरीदी बिक्री हेतु कितने लोगों ने कलेक्टर से अनुमति के लिए आवेदन किया। सवाल का जवाब देते हुए प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि वर्ष 2012-13 से 2017-18 में जिला महासमुंद की महासमुंद तहसील के अंतर्गत वनभूमि, शासकीय भूमि तथा आदिवासियों की भूमि के अवैध क्रय-विक्रय के संबंध में वनभूमि के चार, शासकीय भूमि के 689 तथा आदिवासियों भूमि के दो शिकायतें मिली हैं। शासकीय भूमि पर की गई मामलों में से 166 प्रकरणों के दोषियों के खिलापफ अर्थदंड आरोपित कर अतिक्रमित भूमि से बेदखल करने का आदेश तहसीलदार महासमुंद द्वारा की गई है। बाकी बचे मामलों में कार्यवाही विचाराधीन है। आदिवासियों की भूमि का क्रय-विक्रय के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी महासमुंद के न्यायालय में 9 तथा कलेक्टर महासमुंद के न्यायालय 18 मामलो में जांच की कार्यवाही प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की जमीन खरीदी-बिक्री के पूर्व भू-राजस्व अहिंसा 1959 की धारा 165 (6) एवं 165 (7) के तहत अनुमति लिये जाने का प्रावधान है। प्रश्न की अवधि में महासमुंद तहसील के अंतर्गत 24 लोगों ने अनुमति के लिए कलेक्टर महासमुंद को आवेदन किया था।