आर्थिक सर्वेक्षण पेश,किसानों का कर्ज नहीं होगा माफ, कल आएगा बजट कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पर रहेगा फोकस

भोपाल,मध्य प्रदेश का 2018-19 का बजट बुधवार को विधानसभा में पेश किया जायेगा। वित्तमंत्री जयंत मलैया बजट पेश करेंगे। मलैया ने साफ किया है कि इस बजट में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा पर खास जोर रहेगा। किसानों की कर्ज माफी पर मलैया ने इनकार किया है। उन्होंने कहा-कर्ज माफी की मांग कांग्रेस कर रही है न कि किसान। गौरतलब है कि पहले भी कई बार कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन बयान दे चुके हैं कि किसानों की कर्ज माफी नहीं हो सकती है।
एक नजर : आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट
वित्तमंत्री ने मंगलवार को विधानसभा में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश की। यह रिपोर्ट बेहद निराशाजनक रही । तमाम योजनाओं में 11 लाख 24 हजार आवेदन आए थे, लेकिन नौकरी सिर्फ 422 लोगों को ही मिल सकी। सर्वे के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में 5.9 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले काफी कम रहने का अनुमान है।
– घरेलू उत्पाद में बीते एक साल में 7.30 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान
– प्रति व्यक्ति आय में 5.79प्रतिशत इजाफा हुआ है। स्थिर भावों में 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय 52406 रुपए थी, जो कि साल 2017-18 में 55442 रुपए हो गई
-साल 2017-18 में फसल बोअनी रक्बा में 1.61 प्रतिशत कमी आई
-2016-17 में फसल क्षेत्र की विकास दर 34.14 प्रतिशत थी जो 2017-18 में -1.61 प्रतिशत रही
– 2011 में साक्षरता दर 70.6 फीसदी थी जो कि राष्ट्रीय औसत 74.04 प्रतिशत से कम है, 40प्रतिशत महिलाएं निरक्षर
-शिशु मृत्यु दर : 1000 में शिशु मृत्युदर 50 है जबकि पूरे देश का आंकड़ा 37 है।
-मार्च 2015 तक मध्य प्रदेश के प्रतिव्यक्ति पर कर्ज 19941 रुपए था
-रोजगार कार्यालय 2015 में 48 थे जिनसे 334 लोगों को रोजगार मिला, कार्यालय 2016 में बढ़कर 52 हो गए जिससे रोजग़ार 129 लोगों को ही मिल सका, जबकि 2011 में 7000 लोगों को रोजग़ार दिया गया था
– 2015-16 में वित्तीय घाटा करीब 14064 करोड़ था जो कि 2016-17 में बढ़कर 29898 करोड़ रुपए हो गया, 2017-18 में 25688 करोड़ घाटा अनुमानित है
बोझ के तले 50 लाख किसान
पांच बार लगातार कृषि कर्मण अवार्ड जीतने वाले मध्यप्रदेश के 50 लाख किसानों के सिर पर 60 हजार करोड़ का कर्ज है। नेशनल ब्यूरो ऑफ इंडिया के सर्वे में यह हुआ खुलासा।
जनजातीय कार्य विभाग के अधीन होंगी अध्यापकों की सेवाएं
अध्यापक संवर्ग की सेवाओं को शिक्षा, जनजातीय कार्य विभाग के अधीनस्थ करने के संबंध में समुचित प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के लिखित प्रश्न के जवाब में दी। मंत्री ने इसकी समय-सीमा नहीं बताई है, जिससे प्रक्रिया पूर्ण हो सकेगी या नहीं कहना मुश्किल हो गया है। अध्यापकों की मांगों की पूर्ति के संबंध में कांग्रेस विधायक अकील का सवाल था कि क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा 21 जनवरी 2018 को आंदोलनरत अध्यापकों की मांगों की पूर्ति किए जाने की घोषणा की गई है? इसके साथ ही उन्होंने अध्यापकों की मांगों समेत कम मानदेय, वेतन बढ़ाने और 5 वर्ष से अधिक सेवारतों को नियमित करने जैसे सवाल किए। मंत्री ने बताया कि अतिथि शिक्षकों को मानदेय का भुगतान मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 9/11/2016 के बिंदु क्रमांक 6 के अनुसार किया जाता है। ऐसे में मानदेय बढ़ाने का प्रकरण विचाराधीन नहीं है। जहां तक नियमित करने का सवाल है तो इससे मंत्री ने साफ इंकार कर दिया।

 

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