जबलपुर, मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर डिग्री में क्यूआर कोड लगाने जा रही है, ताकि डिग्री में कोई छेडछाड नहीं कर सके। अगर कोई डिग्री में छेडछाड के प्रयास करता भी है तो डिग्री को क्यूआर स्कैनर से स्कैन करने के बाद डिग्री की सत्यता सामने आ जाएगी। इससे मिलान कर यह पता करना आसान हो जाएगा कि डिग्री सही है या नहीं। अब जो भी डिग्री बनेगी उसमें यह व्यवस्था की जाएगी। मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि हाल ही में हुई यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब जो भी डिग्री बनेगी उसमें क्यूआर कोड भी प्रिंट रहेगा। उन्होंने अभी देश में दो यूनिवर्सिटी में ऐसी व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि एक डिग्री में क्यूआर कोड लगाने में 50 रुपए से भी कम खर्च है, लेकिन इससे डॉक्टरों को फायदा बहुत हो जाएगा। सबसे ज्यादा फायदा डिग्री के वेरीफिकेशन को लेकर होगा।
नौकरी में डिग्री के वेरीफिकेशन को लेकर अभी यूनिवर्सिटी के पास सत्यापन के लिए केस आते हैं। इसमें समय भी ज्यादा लगता है साथ ही यूनिवर्सिटी व जांच कराने वाले विभाग का काम भी बढ़ जाता है। क्यूआर कोड से यह दिक्कत दूर हो जाएगी। मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्यपरिषद के सदस्य डॉ. चंद्रेश शुक्ला ने बताया कि विदेश जाने वाले डॉक्टरों को बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी। उन्हें डिग्री को सही साबित करने के लिए काउंसलेंट से डिग्री को सत्यापित कराना होता था। इसके अलावा कुछ और जगह इस तरह से सत्यापन करने के बाद ही डिग्री को वैध माना जाता था। क्यूआर स्कैनर से मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा दी गई डिग्री सामने आ जाएगी। इस संबंध में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा का कहना है कि क्यूआर कोड लगाने को लेकर कार्यपरिषद की बैठक में निर्णय हुआ है। अब बनने वाली सभी डिग्री में यह व्यवस्था रहेगी।