होली का रंग जीएसटी में भंग

नई दिल्ली,इस बार होली का त्योहार जीएसटी के कारण काफी रूखा-सूखा होकर रह गया है जीएसटी के कारण कारोबार इस बार पूरी तरह चौपट है जीएसटी के मार से उलझे व्यापारी सीजनल कारोबार से तौबा कर रहे हैं। बड़े स्तर पर खरीदी से बच रहे हैं जीएसटी के कारण बिना बिल वाले इस कारोबार पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है।
सीजनल कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि इस बार पिचकारी,रंग- गुलाल इत्यादि की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 30 से 40 फ़ीसदी कम हो गई है। दिल्ली से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब,हरियाणा, राजस्थान इत्यादि राज्यों में बड़ी संख्या में रंग गुलाल और पिचकारी इत्यादि जाती थी किंतु इस बार पिछले वर्ष की तुलना में मात्र 60 से 70 परसेंट कारोबार रह गया है। जीएसटी के कारण होली का रंग बुरी तरह फीका पड़ गया है। क्योंकि यह सीजनल कारोबार है।बहुत सारा माल बच जाता है और कुछ माल ट्रांसपोर्टेशन में लाने ले जाने में खराब होता है। इसकी बिक्री खुदरा व्यापारी करते हैं। जिनके पास जीएसटी का नंबर नहीं होता है इस कारण दिल्ली के बाजार में बहुत कम संख्या में थोक व्यापारी पहुंच रहे हैं ।खुदरा खरीदी-बिक्री 5000- 10000 हजार की छोटे छोटे व्यापारी करते थे।वह भी पिछले साल की तुलना में बहुत कम है। पिचकारी चीन से आती हैं, और चीन की पिचकारी के उपयोग को लेकर भी जो राजनीति और बहिष्कार का माहौल बना उससे होली का रंग बुरी तरह बेरंग होकर रह गया है।

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