रायसेन,रायसेन जिले के हलाली डैम के पास बृजमोहन रामकली गौशाला में प्रतिदिन औसतन 5 से 6 गायें मर रही हैं। जिला वेटरनरी अधिकारी द्वारा 23 फरवरी 2016 से 19 फरवरी 2018 के बीच रजिस्टर का अवलोकन किया। इस गौशाला में 545 दिनों में 3544 गोवंश की आवक हुई। जिसमें से 2948 गोवंश की इसी बीच में मौत हो गई। हर दिन 5 से 6 गोवंश की मौत होने से पशु चिकित्सक भी हैरान हैं।
रायसेन जिले के उपसंचालक ने 19 फरवरी को गौशाला का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान गौशाला में लगभग 55 गोवंश की लाश उन्हें मिली। इस मामले में कोई भी खुलकर अपनी बात नहीं कह रहा है। वेटनरी डॉक्टर का मानना है, कि मवेशी की हड्डियों चमड़े, आंत, चर्बी, सींग, रक्त और पेट से निकलने वाले महत्वपूर्ण पदार्थ और गोवंश का मांस इस गौशाला से बेचा जा रहा है। रायसेन जिले की हलाली डैम की गौशाला में इतने बड़े पैमाने पर गोवंश के मरने से गौरक्षकों की निष्ठा पर भी संदेह उत्पन्न होने लगे हैं। इतनी बड़ी मात्रा में यदि गोवंश की मौत हो रही है। वह भी गौशाला में तो इसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी है। इस गौशाला में चारा, पानी, शेड इत्यादि की व्यवस्था भी नहीं है। इसके बाद भी इतने बड़े पैमाने पर वहां पर गोवंश रखे जाने और उनकी देखरेख नहीं करने वाले दोषियों पर सरकार द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई।
इस गौशाला का संचालन प्रहलाद दास मंगल नामक व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। मृत मवेशी की क्रिया कर्म करने की बात उन्होंने जांच अधिकारी से कहीं है । उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि गाय की हड्डियां 11 सौ रुपए प्रति क्विंटल और चमड़ा डेढ़ सौ से 200 रुप्या प्रति किलो में बिकता है। इसका मतलब यह है कि मरी हुई गायों का मांस, हड्डी और चमड़े का अवैध कारोबार यहां से किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा अभी तक ऐसी गौशालाओं पर कोई कार्यवाही नहीं करना आश्चर्यचकित करता है। इन गौशालाओं में लगातार गोवंश भेजने से षड्यंत्र की बू आ रही है। गौशाला के संचालकों द्वारा गौवंश के नाम पर जो कमाई की जा रही है। उस पर रोक लगाना जरूरी है। रोजाना गौशाला में पांच से छह गोवंश का मरना अपने आप में हास्यप्रद और साजिश की ओर इशारा करता है।