मुंबई,वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख से जुड़े कथित फर्जी मुठभेड़ मामला राजनीति से प्रेरित था और उसे केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने गढ़ा था। इस बहुचर्चित मामले में बरी हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियान की ओर से पेश जेठमलानी ने कहा सोहराबुद्दीन और उसके साथी तुलसीराम प्रजापति कुख्यात गैंगस्टर थे तथा तीन राज्यों की पुलिस को उनकी तलाश थी। पांडियान को आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अदालत के समक्ष दलील देते हुए जेठमलानी ने दावा किया कि सोहराबुद्दीन एक आतंकवादी था और उसके संबंध भगोड़ा माफिया डॉन दाउद इब्राहिम से थे। जेठमलानी ने कहा, ‘सोहराबुद्दीन एक आतंकवादी था। वह दाउद इब्राहिम के संपर्क में था जिसने उसे देश में राष्ट्रविरोधी गतिविधयों को अंजाम देने के लिए बड़ी मात्रा में हथियार एवं गोला-बारूद उपलब्ध कराया था।’
उन्होंने कहा, ‘जेठमलानी और प्रजापति दोनों अपराधी तथा रंगदारी वसूल करने वाले व्यक्ति थे, जिनके खिलाफ कई मामले दर्ज थे।’ जेठमलानी ने कहा सोहराबुद्दीन गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश की पुलिस को वांछित था। उन्होंने एक तरह से तत्कालीन संप्रग सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी। जब सोहराबुद्दीन को आखिरकार 2005 में गिरफ्तार कर लिया गया और संभवत: पुलिस ने उसे तब गोली मार दी जब वह भागने की कोशिश कर रहा था। उस समय राजनीति से प्रेरित हो कर सीबीआई ने फर्जी मुठभेड़ की कहानी बनाई थी।’
कुछ आरोपियों को आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय ने पूछा कि ‘‘उस समय की’’ राजनीति से प्रेरित सीबीआई से उनका मतलब क्या है? न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने पूछा, ‘आप क्या कहने की कोशिश कर रहे हैं?’ जेठमलानी ने जवाब दिया कि वह सिर्फ यह कह रहे हैं कि सीबीआई ‘आज काफी संतुलित है।’ न्यायाधीश ने जवाबी सवाल किया, ‘क्या इसी वजह से वह इस अदालत को कोई सहायता उपलब्ध कराने से इंकार करती है?’ न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे सीबीआई और सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन शेख की याचिकाओं पर नौ फरवरी से हर रोज सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें मामले में आरोपी 14 पुलिस अधिकारियों में से पांच को आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती दी गई है। सोहराबुद्दीन नवंबर 2005 में गुजरात पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था। वहीं, इस मामले का गवाह प्रजापति दिसंबर 2006 में गुजरात और राजस्थान पुलिस के साथ हुई एक अन्य कथित मुठभेड़ में मारा गया था।