मोटी चमड़ी करो और निंदा करने वालों का मजाक उड़ाएं नेता

नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने नेताओं और सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को चमड़ी मोटी करते हुए निंदा करने वालों पर हंसने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि नेताओं को मानहानि का आरोप लगाकर हर बार अदालतों में नहीं आना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण के वाईएसआर कांग्रेस के मंगलागिरी से विधायक राम कृष्णा रेड्डी को पार्टी के नेता जगन मोहन रेड्डी की ओर से एक स्थानीय समाचार पत्र के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने की अनुमति नही देने का विरोध करने पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘यह मानहानि नहीं है।’राज्य में किसानों की समस्याओं पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जगनमोहन रेड्डी की मुलाकात पर अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि रेड्डी अपनी आय से अधिक संपत्तियों की जांच को लेकर परेशानियों पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री से मिले थे। इस पर उनकी पार्टी के विधायक ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि वह वास्तव में किसान समस्या पर बातचीत के लिए मोदी से मिले थे। निचली अदालत ने विधायक को शिकायत दर्ज कराने की अनुमति देने से मना कर दिया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि केवल मानहानि वाले बयानों से प्रभावित व्यक्ति ही रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
किसी तीसरे पक्ष को यह अधिकार नहीं है। इसके बाद वाईएसआर कांग्रेस के विधायक ने हाई कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मंगलागिरी से विधायक राम कृष्णा रेड्डी की ओर से दलील देते हुए भूषण ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ कोई भी मानहानि वाला बयान पार्टी के एक विधायक के खिलाफ मानहानि वाला बयान है। उनका कहना था कि यह समाचार पत्र खासतौर पर उनकी पार्टी के नेता को बदनाम करता रहता है। उन्होंने कहा, ‘अगर पार्टी के नेता की मानहानि की जाती है, तो मेरी मानहानि कैसे नहीं हुई?’
भूषण ने कहा जगन रेड्डी किसानों की समस्याओं को उठाने के लिए प्रधानमंत्री से मिले थे। लेकिन समाचार पत्र ने दावा किया कि वह खुद को जांच से बचाने के लिए गए थे। उनकी दलील थी, ‘समाचार पत्र ने यह झूठी रिपोर्ट दी है कि जगन रेड्डी ने राज्य की समस्याओं को नहीं उठाया।’ चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया। बेंच का कहना था कि जो लोग सार्वजनिक जीवन में हैं, उन्हें इस तरह की रिपोर्ट को लेकर इतना संवेदनशील नहीं होना चाहिए। बेंच ने कहा आपको इस तरह की रिपोर्ट्स के लिए कुछ संयम रखना चाहिए। इसे पढ़ें और हंसी में उड़ा दें।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि मामला दर्ज करवाने से व्यक्ति को अधिक प्रचार मिलने के जरिए वास्तव में नुकसान हो सकता है। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को पलटने से इनकार कर दिया।

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