मुंबई,जेवरात की चमक और मेहुल चोकसी के कारोबारी तिकड़मों में फंस कर ही देश के बैंकों ने अपनी तिजोरियां खोल दी थीं। बैंकों को जब तक गीतांजलि समूह और चौकसी के कारोबारी साम्राज्य की बुनियाद के हवा-हवाई होने का पता चलता, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पिछले साल बैंकों द्वारा हायर किए गए बाहरी कंसल्टेंट की स्पेशल रिपोर्ट में भी इस पर संदेह जताया गया है। इस गोपनीय रिपोर्ट का नाम प्रॉजेक्ट ज्वैल्स है। इसे कंसल्टेंसी फर्म ईवाई ने मई 2017 में सौंपा था।
इसकी रिपोर्ट में गीतांजलि जेम्स और ग्रुप की कंपनियों की डीलिंग, लिस्टेड कंपनी के जरूरी रिकॉर्ड्स नहीं रखने, डूबने की आशंका वाले कर्ज के लिए पर्याप्त प्रोविजनिंग नहीं करने और बकाया रकम वसूल करने में देरी का जिक्र किया गया है। गीतांजलि ग्रुप की कंपनियों पर करीब 35 बैंकों का 7,000 करोड़ रुपये बकाया है।
इसमें बड़े सरकारी बैंकों के साथ निजी क्षेत्र के भी कुछ बैंक शामिल हैं। यह रकम पीएनबी के एलओयू के बकाया से अलग मानी जा रही है। इस रिपोर्ट के सौंपे जाने के एक महीने बाद मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच के एक सीनियर मैनेजर ने गीतांजलि से मेहुल चोकसी की पत्नी मिसेज प्रीति चोकसी की अपडेटेड नेटवर्थ स्टेटमेंट की मांग की। लेटर में इसकी वजह नहीं बताई गई है। बैंक आमतौर पर गारंटी देने वाले प्रमोटरों से उनकी संपत्ति का ब्यौरा मांगते हैं। यह लेटर गीतांजलि जेम्स में बैंकिंग और फाइनेंस के जॉइंट प्रेसिडेंट कपिल खंडेलवाल के नाम जारी किया गया था और इसे आईसीआईसीआई बैंक को भी सीसी किया गया था, जो गीतांजलि ग्रुप का एक लेंडर है। एक सीनियर बैंकर ने बताया बैंक लोन रिकवरी का दबाव बनाने के लिए पर्सनल गारंटी भुनाने की बात करते हैं, लेकिन लोन के बदले जिस संपत्ति की गारंटी दी गई है, उसे बेचने से कर्ज वसूल नहीं होता तो ऐसे मामलों में कुछ नहीं किया जा सकता।
ईवाई की इस रिपोर्ट में 2016 के मध्य तक ट्रांस एग्जिम और क्राउन एम को 2,081 करोड़ का एक्सपोर्ट डेटर बताया गया है। क्राउन गीतांजलि ग्रुप की कंपनी है और ट्रांस एग्जिम को गीतांजलि के प्रमोटर्स के एक रिश्तेदार ने खड़ा किया था। गीतांजलि के कुल रिसीवेबल्स में ग्रुप रिसीवेबल की हिस्सेदारी 33 पर्सेंट है।
गीतांजलि जेम्स ग्रुप की वह कंपनी है, जिसने बैंकों से सबसे अधिक कर्ज लिया है। ईवाई की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी घरेलू कलेक्शन के लिए इनवॉइस डेटा नहीं मेंटेन कर रही थी। पिछले तीन साल में वह जो पैसा रिकवर नहीं कर पाई थी, उसके लिए कंपनी ने प्रोविजनिंग भी नहीं की थी। गीतांजलि जेम्स ने ईवाई के साथ कन्फर्मेशन लेटर का सैंपल शेयर नहीं किया। कंपनियां एकाउंटिंग पीरियड खत्म होने के बाद आमतौर पर इसे शेयर करती हैं।