नई दिल्ली,कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सात दिवसीय दौरे में भारत द्वारा उचित सम्मान नहीं मिलने की खबरों पर केंद्र सरकार ने सफाई दी है। केंद्र सरकार ने कहा कि ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान उनके सम्मान का पूरा ख्याल रखा गया। उनकी भारत यात्रा के दौरान प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन किया गया। दरअसल, 7 दिवसीय भारत दौरे पर आए ट्रूडो जब गुजरात दौरे पर गए, तो पीएम नरेंद्र मोदी उनके साथ वहां नहीं गए थे। यहां तक कि एयरपोर्ट पर अगवानी के लिए भी पीएम मोदी नहीं थे। इन बातों को कनाडाई मीडिया ने बड़ा मुद्दा बना दिया। एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन करने वाले कनाडा के सवालों पर सफाई देते हुए भारत ने कहा कि ट्रूडो के प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया गया। इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्रूडो से बुधवार को मुलाकात करने की पुष्टि की है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए ट्रूडो की अगवानी एक राज्यमंत्री ने की थी। उन्होंने बताया कि यहां याद रखने की जरूरत है कि पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी रिसीव करने एयरपोर्ट नहीं गए थे।
पीएम मोदी का प्रोटोकाल तोड़ते हुए किसी खास मेहमान को छोड़ने या रिसीव करने जाना केवल कुछ मेहमानों तक ही सीमित रहा है। पीएम मोदी ने अब तक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जापान के पीएम शिंजो आबे, अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नहयान, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और इजराय के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को एयरपोर्ट पर रिसीव किया है।
ट्रूडो शनिवार को दिल्ली पहुंचे थे। इसके बाद वह अगले दिन ताजमहल के दौरे पर गए थे। इसके अगले दिन वह अहमदाबाद और मुंबई के लिए रवाना हो गए। उनका बुधवार को अमृतसर के दौरे का कार्यक्रम है। इसके बाद शुक्रवार को वह दिल्ली आएंगे जहां उनका आधिकारिक स्वागत होगा और प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक करेंगे। भारत का भ्रमण कर रहे ट्रूडो को सलाह दी गई थी कि वह अन्य जगह जाने के पहले दिल्ली आएं, लेकिन ट्रूडो और उनके अधिकारियों ने खुद ही अहमदाबाद जाने की योजना बनाई। पीएम मोदी ने ट्रूडो के साथ अहमदाबाद जाने की सहमति भी नहीं दी थी। बता दें कि कनाडा की मीडिया में इस बात को प्रमुखता से उठाया जा रहा है कि कैसे पीएम मोदी जिनपिंग, आबे और नेतन्याहू की यात्रा के दौरान खुद अहमदाबाद गए थे, जबकि ट्रूडो की यात्रा के दौरान उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों का समर्थक कहा जाता है। उन्होंने सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल लोगों को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था। इससे मामला और बिगड़ गया। ट्रूडो की कैबिनेट में हरजीत सज्जन, अमरजीत सोही, नवदीप बैंस, बर्दिश छागर चार सिख मंत्री हैं। सोही ने हाल ही में कहा था कि वह खालिस्तान आंदोलन के न तो खिलाफ हैं और न समर्थन में। ट्रूडो ने कनाडा में खालसा डे परेड में भी हिस्सा लिया था। जिसमें खालिस्तान समर्थकों के जुटने की रिपोर्ट है। भारत नहीं चाहता था कि ट्रूडो इस कार्यक्रम में हिस्सा लें, लेकिन ट्रूडो ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
कनाडाई प्रधानमंत्री के अपमान पर भारत की सफाई,नहीं हुआ Trudeau का अपमान, प्रोटोकाल का किया पालन
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