नई दिल्ली,नई दिल्ली उच्च न्यायालय ने रॉबर्ट वाड्रा से संबद्ध नई दिल्ली की एक संस्था की याचिका खारिज कर दी। याचिका में आयकर विभाग के एक नोटिस को चुनौती दी गई थी जिसमें संस्था को वर्ष 2010-11 में हरियाणा और राजस्थान में हुए भूमि सौदों से हुए फायदों का पुन:मूल्यांकन के लिए कहा गया था। उच्च न्यायालय के समक्ष रखी गई कर चोरी से जुड़ी एक रिपोर्ट में आयकर विभाग ने कहा है कि उनके पास यह मानने के कारण हैं कि वर्ष 2010-11 में संस्था द्वारा कमाए गए लाभ में से 35 करोड़ से ऊपर की राशि को मूल्यांकन से बचा लिया गया।
कर चोरी की इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की एक पीठ ने कहा, कारणों पर ध्यान देने के बाद,हम इस बात से संतुष्ट हैं कि यह मानने का कारण है कि आय को मूल्यांकन से बचाया गया है, जिस कारण नोटिस जारी करना जरूरी था। इसके साथ ही अदालत ने संस्था स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी एलएलपी को 19 फरवरी को मूल्यांकन अधिकारी के समक्ष कार्यवाही के लिए पेश होने का निर्देश भी दिया। संस्था ने आयकर विभाग के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका में कहा है कि मानने के कारण केवल शक के आधार पर दिए गए कारण हैं और यह साबित नहीं होता कि आय को मूल्यांकन से बचाया गया है।
संस्था के दावों से असहमति जताते हुए पीठ ने कहा कि नोटिस जारी करते वक्त पूर्ण निश्चितता की जरूरत नहीं थी इसके साथ ही कहा कि यह सिर्फ संदेह, अफवाहों और सुनी-सुनाई बातों पर आधारित न हों। हमें यह ठहराने में कोई संकोच नहीं है कि उक्त जांच और कसौटियां वर्तमान मामले में संतुष्टिजनक हैं। पीठ ने कहा, नोटिस जारी करने को उचित ठहराने के लिए सबूत और सामग्रियां मौजूद हैं। इसके साथ ही कहा कि जब तक मूल्यांकन अधिकारी द्वारा ईमानदार और मुनासिब मत बनाया गया है और केवल शक के आधार पर कारण नहीं दिए गए हैं तब तक अदालत को न्यायित निर्णय की प्रक्रिया को रोकने में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीठ ने संस्था की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा है कि आयकर विभाग ने गलत कंपनी यानि स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड की बजाए स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी एलएलपी को यह नोटिस भेजा है।