गांव के लोग भी तेजी से हो रहे हैं कर्जदार,बचत भी कम होने लगी

नई दिल्ली,देश के ग्रामीण अंचलों में ग्रामीणों की बचत पिछले 6 माह में कम हो गई है। वही ग्रामीणों के ऊपर ऋण बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सब्सिडी के लिए जनधन खाते खोलने वाले ग्रामीणों की औसत बचत जून 2017 से दिसंबर 2017 रुपये तक लगभग 7 कम हुई है। इसकी तुलना में महानगरों के बचत खातों में धन का प्रवाह बढ़ा है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की बचत दर सिर्फ 1.5 फ़ीसदी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 6 फ़ीसदी बढ़त देखने को मिली है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार 2 साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों की बचत दर शहरों के मुकाबले ज्यादा थी। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि 2012 से 2015 तक ग्रामीण क्षेत्रों की बचत 32 फ़ीसदी बढ़ी थी। जबकि शहरी क्षेत्रों की बचत 30 फीसदी थी।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार आसान शर्तों पर कर्ज मिलने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। किसानों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लिया गया ऋण जिस काम के लिए लिया जाता है। उसे अन्य कामों पर भी खर्च कर दिया जाता है। इसके साथ ही किसानों की फसल बार-बार खराब होने के कारण किसानों पर कर्ज बढ़ रहा है। उनकी कर्ज चुकाने की क्षमता पूर्व की तुलना में काफी घट गई है।
-कृषि कर्जा 51 फ़ीसदी बढ़ा
पिछले 2 साल में बैंकों ने कृषि क्षेत्र में दिए जाने वाला कर्ज 51 फ़ीसदी बढ़ा दिया है। दिसंबर 15 तक बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाला कर्ज 60977 करोड रुपए था। जो दिसंबर 2017 में बढ़कर 92338 करोड़ रुपए हो गया है। इस अवधि में बैंकों ने 21361 करोड रुपए के नई कर्ज कृषि क्षेत्र को दिए थे।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में संचार माध्यमों के फैलाव के बाद जीवनशैली में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की जीवनशैली में अब कोई अंतर देखने को नहीं मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बैंकों से कर्ज लेकर उन्हें अन्य माध्यमों में भी खर्च कर देने के कारण उनके ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है।

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