लंदन,फिंगरप्रिंट से एक इंसान की पहचान तो होती ही है, लेकिन इससे कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, अस्थमा जैसी बीमारियों का भी पता चल जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आपकी ऊंगलियों की छाप से पता लगाया जा सकता है कि आपको कौनसी बीमारी है या हो सकती है। फिंगरप्रिंट के जरिए शारीरिक कमी का पता लगाने वाली थ्योरी को ‘डर्मेटोग्लिफिक्स’ कहा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब बच्चा मां के पेट में होता है, तब अगर किसी अंग या कोशिका के विकसित होने में उसमें गड़बड़ी होती है तो उससे बच्चे के हाथ ही रेखाएं और ऊंगलियों की धारियों में भी बदलाव आ जाता है। आइए जानते हैं कैसे आपकी फिंगरप्रिंट अलग-अलग बीमारियों का पता लगा लेती हैं:ऐसा देखा गया है कि ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, ओवरी और सर्विकल कैंसर और फिंगरप्रिंट में संबंध होता है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में पता लगा है कि जिन महिलाओं में ओवरी (अंडाशय) या अन्य किस्म का गायनोकोलॉजिकल कैंसर पाया जाता है उनकी ऊंगलियों की धारियों की बनावट खास तरह की होती है। रिसर्च में 300 महिलाओं को शामिल किया गया और पाया गया कि जिन महिलाओं में ये कैंसर था उनकी ऊंगलियों में कुंडली के आकार की धारियां कम थीं, जब्कि आर्क (वृत्ताकार) के आकार की धारियां ज्यादा थीं। 2015 में छपे एक शोध में सामने आया था कि जिन मर्दों को कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) की परेशानी होती है उनकी ऊंगलियों का छाप भी अलग होती है। हृदय की इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की ऊंगलियों में टीले नुमा धारियां ज्यादा होती हैं। इसके साथ ही उन्में छल्ले जैसी धारियों का पैटर्न आम लोगों से अलग होता है। डायबिटीज का बीमारी जीन्स और वातावरण से ज्यादा प्रभावित होती है। यही कारण है कि जिन लोगों को टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज होती है उनके सीधे और उल्टे हाथ की ऊंगलियों की छाप में काफी अंतर होता है। 2017 में ओहियो यूनिवर्सिटी द्वारा रिसर्च में ये बात सामने आई थी। इसमें कहा गया है कि आम लोगों के भी दोनों हाथ के फिंगरप्रिंट अलग-अलग होते हैं, लेकिन डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में ये अंतर बहुत ज्यादा होता है। आपको बता दें कि डायबिटीज की तरह ही अस्थमा की बीमारी भी वातावरण और जीन्स से काफी प्रभावित रहती है। इसी के चलते रिसर्च में ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को अस्थमा होता है और जिन्हें नहीं होता, दोनों के फिंगरप्रिंट अलग-अलग होते हैं।