कलबुर्गी,कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि उनकी पार्टी यदि केंद्र में सत्ता में आई तो वह मौजूदा जीएसटी में सुधार करेंगे। जीएसटी को एक कर बनाने की कोशिश कर सरल करेंगे और कर की उचित सीमा भी तय की जाएगी। जीएसटी को लेकर भ्रम को भी दूर किया जाएगा। उन्होंने कलबुर्गी में पेशेवरों और उद्यमियों के साथ बातचीत में कहा, हमारी स्थिति स्पष्ट है। हम उस भ्रम की स्थिति को दूर करने की कोशिश करेंगे, जिसका सामना व्यापारी कर रहे हैं। कांग्रेस के पास जीएसटी की एक परिकल्पना थी, जो लोगों के जीवन को आसान बनाने से जुड़ी थी। हमारा एक कर का विचार था और बड़ी संख्या में उन चीजों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा था, जिनका इस्तेमाल गरीब और आम आदमी करते हैं। एकल कर की अधिकतम सीमा 18 फीसदी हो, यह हमारा जीएसटी था। उन्होंने कहा कि कर को लेकर संसद में भाजपा की लंबे समय तक कांग्रेस से लड़ाई हुई। हम सरकार से कहते रहे कि वह पांच स्तरीय जीएसटी को लागू न करे और कर को लागू करने से पहले एक पायलट परियोजना शुरू करे। लेकिन मोदी सरकार ने विपक्ष की मांग को तवज्जो नहीं दी। कर्नाटक में उनकी पार्टी के लिए अच्छा माहौल है। राहुल ने आरएसएस पर देश की हर संस्था पर कब्जे की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संघ के एक खास विचारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था और सरकार ने नतीजों पर विचार किए बिना उसे लागू कर दिया। राहुल गांधी ने केंद्र की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत को चीन से निपटने के लिए आक्रामक नहीं, शांतिपूर्ण रास्ता तलाशना होगा। भारत का करीबी मित्र रूस अब हमारे पड़ोसी से नजदीकी बढ़ा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है, जिस पर बात नहीं हो रही है।
राहुल ने अनुभव मंडप पहुंच कर लिंगायत समुदाय को साधने की कोशिश की
बेंगलुरू,कर्नाटक में चार दिन की चुनाव प्रचार यात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को कर्नाटक स्थित संत बसवेश्वर द्वारा स्थापित अनुभव मंडप पहुंचे। राहुल ने इस यात्रा के जरिए लिंगायत समुदाय को साधने की कोशिश की है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं।
दरअसल, लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद भाषण देते हुए मोदी ने कांग्रेस पर 1947 में देश को बांटने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने उस लोकतंत्र को भुला दिया जो कर्नाटक के प्रसिद्ध समाज सुधारक श्री बसवेश्वर ने स्थापित किया था। पीएम ने संत बसवेश्वर का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने 12वीं सदी में अनुभव मंडपम नाम की व्यवस्था दी, जहां गांव के सारे निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से होते थे।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आया है। सूबे की 224 विधानसभा सीटों में से करीब 80 सीटों पर इस समुदाय का सीधा दखल है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस चुनाव में इस समुदाय को साधने में जुटी हैं। भाजपा के लिए फायदा यह है कि उनके मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा लंबे समय तक लिंगायत नेता रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस समुदाय के बीच जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।